Bangladeshi Diaspora Protest UNGA: संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 78वें सत्र में पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर के संबोधन के दौरान बांग्लादेशी प्रवासियों बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (साल 1971, जिसके बाद बांग्लादेश बना) के दौरान पाकिस्तानी सेना की ओर से किए अत्याचारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
शुक्रवार को किए इस प्रदर्शन में 1971 के नरसंहार को मान्यता देने की मांग की. दरअसल, 1971 के दौरान पाकिस्तान ने बांग्लादेश (तब पश्चिमी पाकिस्तान) में विद्रोह को दबाने के लिए भारी संख्या में सैन्य बल का प्रयोग किया था.
प्रदर्शन में सामुदायिक कार्यकर्ताओं और स्वतंत्रता सेनानियों सहित 250 से ज्यादा प्रवासी लोगों ने हिस्सा लिया. संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के सामने प्रदर्शन करने वालों ने हाथों में बैनर और तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा था , 'बांग्लादेश में नरसंहार को संयुक्त राष्ट्र में काफी पहले दे देना चाहिए था, केवल 9 महीनों में 30 लाख लोगों का विनाश'; 'पाकिस्तान के कब्जे वाले बलों ने बांग्लादेशियों का हत्यारा'
1971 में क्या हुआ था?
1947 में भारत को बांट कर पाकिस्तान बना दिया गया. भारत का पश्चिमी हिस्सा (पश्चिमी पाकिस्तान) और पूर्वी हिस्सा (तब पश्चिमी पाकिस्तानी,अब बांग्लादेश) पाकिस्तान के हिस्से में आया. पाकिस्तान की सत्ता में पश्चिमी पाकिस्तान को सियासतदानों का दबदबा था. सैन्य और नौकरशाही में भी पश्चिमी पाकिस्तान के लोग काबिज थे, इस वजह से पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर अलोकतांत्रिक तरीके से शासन कर रहे थे.
इस वजह से ही पूर्वी पाकिस्तान में अंसतोष की आवाजें बुलंद होने लगी, लेकिन पाकिस्तानी सरकार नहीं चाहती थी पूर्वी पाकिस्तान में कोई विद्रोह की आवाज उठे, इसलिए सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान में सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी.
ऑपरेशन सर्चलाइट
26 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सरकार ने पूरे पूर्वी पाकिस्तान में ऑपरेशन सर्चलाइट जारी कर दी और इससे कई लोग मारे गए. लाखों लोग भागकर भारत आ गए. इसके बाद 16 दिसंबर को भारत ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और बांग्लादेश को आजाद देश बनाने में मदद की.
भारत ने 13 दिनों के भीतर पाकिस्तान को धुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, फिर पाकिस्तान ने भारत के साथ ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर किया, जिसमें 93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था.
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