Taslima Nasreen On Bangladesh: मशहूर लेखिका तसलीमा नसरीन ने गुरुवार (5 सितंबर) को कहा है कि इस्लामी कट्टरपंथी युवाओं को भ्रमित करके भारत विरोधी, हिंदू विरोधी, पाकिस्तान और जिहाद समर्थक बनाने में लगे हैं. जिसके चलते उन्हें डर है कि बांग्लादेश कहीं दूसरा अफगानिस्तान न बन जाए. उन्होंने कहा कि जब आप इस तरह से युवाओं का ब्रेनवॉश करेंगे तो वे एक ऐसी पीढ़ी बन जाएंगे जो हिंदुओं, भारत और महिलाओं के खिलाफ होगी और पाकिस्तान समर्थक, जिहाद समर्थक, कट्टरपंथियों के समर्थक हों.


पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में 1994 में बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा कि जब जुलाई में छात्रों ने कोटा प्रणाली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया तो हमने उनका समर्थन किया. हम ऐसे लोग हैं जो महिला अधिकारों, मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं.


'बांग्लादेश को स्थिर करने की योजना इस्लामी कट्टरपंथियों ने बनाई'


लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा कि बाद में हमें एहसास हुआ कि यह छात्रों का आंदोलन नहीं था. इसकी योजना इस्लामी कट्टरपंथियों ने बनाई और पैसा लगाया. यह तब समझ में आया जब उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं, संग्रहालयों और राष्ट्रीय धरोहरों को मिटाना शुरू किया. उन्होंने कहा इस बात पर चिंता जताते हुए कि बांग्लादेश भी अफगानिस्तान या ईरान जैसा ही रास्ता अपना सकता है.


'पाकिस्तानी सेना से जुड़ी प्रतिमायें जस की तस'


तसलीमा नसरीन ने कहा कि यूनुस कहते हैं कि वे अपनी जीत का जश्न मना रहे हैं. लोग हिंदुओं के घर जला रहे हैं. यह किस तरह का जश्न है? वे सब कुछ नष्ट कर रहे हैं. यह तब समझ में आया जब उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं, संग्रहालयों और राष्ट्रीय धरोहरों को मिटाना शुरू किया. जबकि जंग के दौरान लाखों लोगों की हत्या करने वाली और महिलाओं से बलात्कार करने वाली पाकिस्तानी सेना से जुड़ी प्रतिमायें जस की तस हैं.


शेख हसीना ने हमेशा कट्टरपंथियों को दिया बढ़ावा


भारत में रहने वाली लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा कि शेख हसीना एक तानाशाह थीं. जिन्होंने हमेशा कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया. लोग उससे नाराज थे. उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण एशियाई देश में लौटने के बारे में बात करते हुए, नसरीन ने कहा कि मैं अपने देश वापस नहीं जा सकती. खालिदा और हसीना ने मुझे कभी इसकी अनुमति नहीं दी और अब इस जिहादी शासन में इसकी कल्पना करना असंभव है.


मैं सरकार में किसी को नहीं जानती- तसलीमा नसरीन


तसलीमा नसरीन ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत मेरे घर जैसा है और मैं 2005 से यहां रह रही हूं. उन्होंने कहा ,‘‘ हैरानी की बात यह है कि मेरा रिहाइश का परमिट बढ़ाया नहीं गया और अभी तक कोई सूचना भी नहीं है. यह 27 जुलाई को खत्म हो गया था. आम तौर पर समय सीमा से पहले ही इसे बढ़ा दिया जाता है. मेरी समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं. मैं सरकार में किसी को नहीं जानती और मुझे कुछ पता नहीं है.


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