(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Sri Lanka Crisis: विश्व बैंक ने श्रीलंकाई बैंकों को उधार दिए 400 मिलियन डॉलर, दिवालिया श्रीलंका में खरीदे जा सकेंगे आवश्यक खाद्य और दवाएं
World Bank Supports Bankrupt Sri Lanka: श्रीलंका दिवालिया हो चुका है. इस समय वह चीन के कर्ज के जाल में फंसा हुआ है. उसे चीन का 6.8 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है. ऐसे में विश्व बैंक मदद को आगे आया है.
Bankrupt Sri Lanka: विश्व बैंक ने दिवालिया श्रीलंका में तीन बड़ी बैंकों को लाइफलाइन ऑफर की है. उन्हें देश में आवश्यक खाद्य और दवाओं के आयात के वित्तपोषण के लिए 400 मिलियन डॉलर का ऋण दिया है, जहां आईएमएफ बेलआउट ठप है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि श्रीलंका में व्याप्त आर्थिक संकट के बीच, विश्व बैंक की प्राइवेट सेक्टर की वित्त पोषण शाखा, अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC), वहां की तीनों बैंकों को धन उधार दे रही है.
भारत के दक्षिण में स्थित द्वीपीय देश श्रीलंका को 2021 के अंत से आवश्यक भोजन, ईंधन, दवाओं और उर्वरक के वित्तपोषण के लिए विदेशी मुद्रा से बाहर होने के बाद से गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहा है. अप्रैल 2022 में यह दक्षिण एशियाई राष्ट्र बड़ी मुश्किलों से तब घिरा, जब कर्ज मिलना बंद हो गया. महीनों के विरोध प्रदर्शनों ने राष्ट्रपति को जुलाई में इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया और रानिल विक्रमसिंघे की नई सरकार ने एक महीने बाद आईएमएफ से 2.9 अरब डॉलर की राहत मांगी.
गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका
हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि आईएमएफ से आने वाले पैकेज को इसलिए रोका जा रहा है क्योंकि श्रीलंका के मुख्य द्विपक्षीय लेनदार चीन ने अभी तक वित्तीय आश्वासन नहीं दिया है. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) ने कहा कि वाणिज्यिक बैंक ऑफ सीलोन, नेशंस ट्रस्ट बैंक और संपत बैंक के साथ इसकी ऋण व्यवस्था "अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए देश की तत्काल आवश्यकता में योगदान करते हुए, महत्वपूर्ण वित्तपोषण के साथ निजी क्षेत्र का समर्थन करेगी."
विदेशी मुद्रा बचाने के लिए लगाईं पाबंदियां
रेटिंग एजेंसियों ने कहा है कि श्रीलंका का संपूर्ण वित्तीय क्षेत्र गंभीर संकट का सामना कर रहा है, यहां ऋण डिफ़ॉल्ट के साथ सभी स्थानीय बैंकों की विश्वसनीयता कम हो गई है. वहीं, भंडार में विदेशी मुद्रा बचाने के लिए गैर-जरूरी आयात पर सरकारी प्रतिबंध लागू हैं.
टैक्स बढ़ाकर किए दोगुने
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने बेलआउट से पहले सरकारी राजस्व बढ़ाने की आईएमएफ की मांगों के अनुरूप टैक्सों को दोगुना कर दिया है और ईंधन की कीमतों और उपयोगिता शुल्कों को तीन गुना बढ़ा दिया है. इसके परिणामस्वरूप उन्हें व्यापक ट्रेड यूनियन विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
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