मुंबई हमले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की तरफ से पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई इस वजह से नहीं की गई थी कि कहीं मुस्लिम विरोधी बढ़ती भावनाओं का राजनीतिक तौर पर बीजेपी ना फायदा उठा ले. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मंगलवार को रिलीज हुए आत्मकथा के पहले भाग- ‘अ प्रोमिस्ड लैंड’ में इस बात का खुलासा किया है. उन्होंने इसमें कहा कि 26/11 के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत की तरफ से कार्रवाई नहीं करने की वजह से मनमोनह सिंह को इसका खामियाजा राजनीतिक तौर पर भुगतना पड़ा.


ओबामा में अपनी आत्मकथा में इसका जिक्र उस वक्त का किया है जब वे दिसंबर 2010 में भारत के दौरे पर आए थे और मनमोहन सिंह के साथ इस बारे में बातचीत की थी.


ओबामा ने उस बातचीत के बारे में बताया मनमोहन सिंह को इस बात का भय था कि बढ़ती मुस्लिम विरोधी भावनाओं ने भारत में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को मजबूत किया. ऐसी अनिश्चित घड़ी में जातीय और धार्मिक एकजुटता की भावना जग सकती थी. ऐसे में भारत या फिर किसी अन्य जगहों पर राजनेताओं की तरफ से ऐसे मौकों का फायदा उठाना कठिन नहीं है.


ओबामा ने किताब में मनमोहन सिंह को बुद्धिमान, सोच रखने वाले और ईमानदार करार दिया. उन्होंने कहा कि सिंह और मैं गर्मजोशी से फलदायक संबंध विकसित किए थे.


हालांकि, इस किताब में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने लिखा है कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को ही प्रधानमंत्री के तौर क्यों चुना. उन्होंने लिखा हैं कि मनमोहन सिंह को सोनिया गांधी ने इसलिए प्रधानमंत्री बनाया क्योंकि उनका कोई राजनीतिक आधार नहीं था और वे उनके 40-वर्षीय बेटे राहुल गांधी के लिए कोई खतरा नहीं हो सकते थे.


इस किताब में राहुल गांधी के बारे में भी लिखा गया है. ओबामा ने राहुल गांधी को राजनीति का एक नर्वस और अपरिपक्व छत्र बताते हुए लिखा है कि, जिस प्रकार कोई छात्र अपने टीचर को इंप्रेस करने के लिए बिना उस विषय की योग्यता के खूब पढ़ाई करता है ठीक उसी प्रकार राहुल गांधी में भी कच्चापन और घबराहट नजर आती है.


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