Cancer Treatment: दुनियाभर में हर साल कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इस बीमारी से मौत के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी हो रही है. इस बीच एक अच्छी खबर आई है. बेस एडिटिंग थेराप्यूटिक ट्रीटमेंट (Base Editing Therapeutic) से यूके की एक छोटी बच्ची एलिसा (Alyssa) के शरीर से कैंसर पूरी तरह से साफ हो गया. इससे पहले जो भी इलाज किए गए वह पूरी तरह से फैल हो गए थे. इसके बाद डॉक्टरों ने फैसला किया कि लड़की को बचाने के लिए रिवोल्यूशनरी थेरेपी की मदद ली जाएगी. छह महीने बाद कैंसर पूरी तरह से गायब हो गया.
हालांकि, इस थेरेपी के इस्तेमाल के बाद डॉक्टरों ने कुछ समय तक एलिसा को ऑब्जरवेशन में ही रखा था. इसी साल मई में एलिसा के शरीर में टी-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (कैंसर) का पता चला था. टी-सेल शरीर में किसी भी तरह के खतरों को पैदा होने से रोकता है. यही टी-सेल बच्ची के शरीर के लिए खतरा बन गए थे. यह कैंसर इतना खतरनाक था कि कीमोथैरेपी और बोन-मैरो ट्रांसप्लांट की मदद से भी इसे निकाला नहीं जा सका.
महज 6 महीने पहले हुआ था बेस एडिटिंग का आविष्कार
एलिसा का कैंसर लाइलाज माना जा रहा था. कीमोथैरेपी और फिर बोन-मैरो ट्रांसप्लांट के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ा. एलिसा ने कहा कि उन्हें लगता था वह मर जाएंगी. वहीं, उनकी मां किओना ने कहा कि वह क्रिसमस के नजदीक आने से भी डरी हुई थी क्योंकि उन्हें लग रहा था कि यह उनकी बेटी के साथ उनका आखिरी समय होगा. ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट की टीम ने बेस एडिटिंग (Base Editing) नामक एक तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसका आविष्कार केवल छह साल पहले किया गया था.
इस तकनीक से इलाज कराने वाली पहली मरीज
जब परिवार को इस बेस एडिटिंग थेराप्यूटिक ट्रीटमेंट के बारे में बताया गया, तो मां किओना पहले सोच में पड़ गईं थी. उन्हें केवल अपनी बेटी की चिंता था. काफी सोचने के बाद उन्होंने इसके लिए हां कहा था. इसी साल मई में बेस एडिटिंग का फैसला किया गया और आज बच्ची ने कैंसर को मात दे दी है. यूसीएल और ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट के प्रोफेसर वसीम कासिम ने कहा कि वह इस तकनीक से इलाज करने वाली पहली मरीज हैं.
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