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बशर अल-असद ने तख्तापलट के बाद तोड़ी चुप्पी, बोले- 'सीरिया छोड़ने का इरादा नहीं था'

बशर अल-असद ने कहा कि किसी भी समय उन्होंने पद छोड़ने या शरण लेने के बारे में नहीं सोचा था, उन्होंने कहा कि उनके लिए एकमात्र उपाय आतंकवादी हमले के खिलाफ लड़ाई जारी रखना है.

Bashar Al-Assad: सीरिया में तख्तापलट के बाद बशर अल-असद का बड़ा बयान सामने आया है. असद ने रूस से जारी अपने बयान में दावा किया कि सीरिया अब "आतंकवाद के हाथों में है". उन्होंने दमिश्क छोड़ने को आवश्यक रणनीतिक उपाय करार दिया, क्योंकि राजधानी पर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) और उसके सहयोगी गुटों का कब्जा हो गया था. बशर अल-असद ने कहा कि किसी भी समय उन्होंने पद छोड़ने या शरण लेने के बारे में नहीं सोचा था, उन्होंने कहा कि उनके लिए एकमात्र उपाय आतंकवादी हमले के खिलाफ लड़ाई जारी रखना है.

सीरिया से भागने के बाद अपने पहले बयान में बशर अल-असद ने कहा कि दमिश्क के पतन के बाद उनका देश छोड़ने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन पश्चिमी सीरिया में उनके बेस पर हमला होने के बाद रूसी सेना ने उन्हें वहां से निकाल लिया. असद ने अपने फेसबुक पेज पर एक बयान में कहा कि उन्होंने 8 दिसंबर की सुबह दमिश्क छोड़ दिया, जब विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर हमला किया था. असद ने रूस से एक लिखित बयान में कहा, "सबसे पहले, सीरिया से मेरा प्रस्थान न तो योजनाबद्ध था और न ही यह लड़ाई के अंतिम घंटों के दौरान हुआ, जैसा कि कुछ लोगों ने दावा किया है, इसके विपरीत, मैं दमिश्क में रहा, रविवार 8 दिसंबर 2024 की सुबह तक अपने कर्तव्यों का पालन करता रहा."

लताकिया में लड़ाई जारी रखने की योजना बनाई

उन्होंने कहा कि वे रूसी सहयोगियों के कोऑर्डिनेशन के साथ लताकिया में रूसी बेस के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने लड़ाई जारी रखने की योजना बनाई. असद ने कहा, "जब आतंकवादी बलों ने दमिश्क में घुसपैठ की, तो मैं अपने रूसी सहयोगियों के साथ कोऑर्डिनेशन कर लताकिया चला गया, ताकि युद्ध अभियानों की देखरेख कर सकूं. उस सुबह हमीमिम एयरबेस पर पहुंचने पर, यह स्पष्ट हो गया कि हमारी सेनाएं सभी बैटल लाइन्स से पूरी तरह से हट गई थीं और सेना की आखिरी पोजीशन भी गिर गई थी."

8 दिसंबर को उन्हें रूस ले जाने का किया फैसला

असद ने कहा कि रूसी बेस पर ड्रोन से हमला किए जाने के बाद, रूसियों ने 8 दिसंबर की रात को उन्हें रूस ले जाने का फैसला किया. पूर्व सीरियाई राष्ट्रपति ने कहा, "जैसे-जैसे क्षेत्र में स्थिति बिगड़ती गई, रूसी सैन्य बेस पर भी ड्रोन हमलों के कारण तेज हमले होने लगे. बेस से बाहर निकलने का कोई साधन न होने के कारण, मास्को ने अनुरोध किया कि बेस की कमान रविवार 8 दिसंबर की शाम को रूस के लिए तत्काल निकासी की व्यवस्था करे."

'पद छोड़ने या शरण लेने के बारे में नहीं सोचा'

सीरिया से भागने के बाद अपने पहले संबोधन में बशर अल-असद ने कहा कि किसी भी समय उन्होंने पद छोड़ने या शरण लेने के बारे में नहीं सोचा और कहा कि एकमात्र उपाय आतंकवादी हमले के खिलाफ लड़ाई जारी रखना है. उन्होंने पत्र में कहा, "इन घटनाओं के दौरान किसी भी समय मैंने पद छोड़ने या शरण लेने के बारे में नहीं सोचा, न ही किसी व्यक्ति या पार्टी की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव रखा गया. कार्रवाई का एकमात्र तरीका आतंकवादी हमले के खिलाफ लड़ाई जारी रखना था."

उन्होंने कहा, "इसके अलावा, जिस व्यक्ति ने कभी फिलिस्तीन और लेबनान में प्रतिरोध को नहीं छोड़ा, न ही अपने सहयोगियों को धोखा दिया, जो उसके साथ खड़े थे, वह संभवतः वही व्यक्ति नहीं हो सकता जो अपने लोगों को छोड़ दे या सेना और राष्ट्र को धोखा दे, जिससे वह संबंधित है." 

रूसी विदेश मंत्रालय ने 8 दिसंबर को घोषणा की कि बशर अल-असद ने सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के आदेश जारी करने के बाद पद छोड़ दिया है और देश छोड़ दिया है. इसके तुरंत बाद, न्यूज एजेंसी TASS ने क्रेमलिन के सूत्रों के हवाले से कहा कि पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवार को रूसी राजधानी मॉस्को में शरण दी गई है.

ये भी पढ़ें: 'भारत के खिलाफ जिहाद, असलहा, RDX....', PAK एक्सपर्ट का दावा इंडिया के खिलाफ यूनुस सरकार रच रही बड़ी साजिश

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