पाकिस्तान बेनकाब: स्थानीय उत्पाद के रूप में पंजीकृत नहीं है बासमती चावल, फिर भी भारत के खिलाफ लड़ रहा है मुकदमा
पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हुआ है. पाकिस्तान बासमती चावल को लेकर भारत के खिलाफ यूरोपीय संघ में मुकदमा लड़ रहा है लेकिन पाकिस्तान ने बासमती को स्थानीय उत्पाद के रूप में पंजीकृत नहीं है किया है.
इस्लामाबाद: भारत द्वारा बासमती को अपने उत्पाद के रूप में पंजीकृत कराने के खिलाफ पाकिस्तान यूरोपीय संघ में मुकदमा लड़ रहा है, लेकिन उसके यहां अभी तक बासमती एक स्थानीय उत्पाद के रूप में पंजीकृत नहीं है. एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.
कानून के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में किसी उत्पाद का पंजीकरण कराने से पहले उसे उस देश के भौगोलिक संकेतक (जीआई) कानूनों के तहत संरक्षित किया जाना चाहिए.
समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने बताया कि पाकिस्तान में इस साल मार्च में लागू हुए भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 2020 में ऐसा कोई नियम नहीं हैं और बासमती अभी तक पाकिस्तान में एक संरक्षित उत्पाद नहीं है.
पाकिस्तान में एक चावल निर्यातक ने डॉन को बताया कि निर्यातक, विशेष रूप से पाकिस्तान के चावल निर्यातक संघ, जीआई कानूनों को बनाने के लिए 2000 से आग्रह कर रहे हैं.
निर्यातक ने कहा, ‘‘कानून इस साल मार्च में बनाया गया, लेकिन अधिकारियों ने अभी तक जीआई कानून के नियमों को नहीं बनाया है. इसके चलते कई स्थानीय निर्यात योग्य उत्पादों को दुनिया भर में पाकिस्तानी जीआई टैगिंग के साथ पंजीकृत नहीं किया जा सकता है.’’
उन्होंने कहा कि अब बासमती का मामला यूरोपीय संघ में जाने के बाद अधिकारियों पर जल्द से जल्द जीआई कानून के नियमों को अंतिम रूप देने का दबाव है. भारत ने कहा है कि बासमती एक भारतीय मूल का उत्पाद है. यह बात 11 सितंबर को यूरोपीय संघ की आधिकारिक पत्रिका में प्रकाशित हई है. इसके बाद पाकिस्तान ने यूरोपीय संघ में बासमती के लिए विशेष जीआई टैग के भारत के आवेदन को चुनौती दी.
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