Belarus Elections Alexander Lukashenko : बेलारूस के तानाशाह अलेक्जेंडर लुकाशेंको एक बार फिर से चुनाव में जीत की तरफ बढ़ रहे हैं. बेलारूस के  चुनाव को लेकर आ रहे एग्जिट पोल में अलेक्जेंडर लुकाशेंको को भारी जीत की ओर बढ़ता हुआ दिखाया जा रहा है. बता दें कि अजेक्जेंडर लुकाशेंको बेलारूस की सत्ता पर साल 1994 से काबिज हैं, जो पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाले शख्स हैं. इसके पहले साल 2020 के चुनाव में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बेहद करीबी दोस्त अलेक्जेंडर लुकाशेंको को 80 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे.


वहीं, दूसरी ओर उनके आलोचकों का कहना है कि लुकाशेंको ने हेराफेरी कर चुनाव को सिर्फ एक ढोंग बना दिया है. साल 2020 में विपक्ष का दावा था कि लुकाशेंको की विपक्षी स्वीतलाना को चुनाव में जीत मिली थी. उल्लेखनीय है कि 2020 के चुनाव के बाद बेलारूस में भारी प्रदर्शन हुए थे, जिसे सोवियत संघ से अलग होने के बाद सबसे बड़े दमक के जरिए दबा दिया गया था. वहीं, इस साल स्वीतलाना ने बेलारूस के लोगों को प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरने के लिए नहीं कहा. स्वीतलाना ने कहा कि प्रदर्शन की भारी कीमत चुकानी पड़ती है.


2020 से स्वीतलाना झेल रहीं निर्वासन का दंड


साल 2020 में हिंसक प्रदर्शनों के बाद से स्वीतलाना अपने दो बच्चों के साथ निर्वासन में जी रहीं हैं. मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, बेलारूस ने करीब 1200 नेताओं को जेल में बंद कर रखा है. इसमें स्वीतलाना के पति सर्गेई भी शामिल है. बता दें कि जेल में जाने के बाद स्वीतलाना की अपनी पति से बात भी नहीं हो पाई है.


पुतिन और लुकाशेंको की दोस्ती से टेंशन में नाटो


बेलारूस के 35 लाख लोग अन्य देशों में रहते हैं, लेकिन उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं है. वहीं, पहली बार के चुनाव में किसी निष्पक्ष पर्यवेक्षक को जाने नहीं दिया गया. वहीं, अलेक्जेंडर लुकाशेंको को व्लादिमीर पुतिन का पूरा समर्थन हासिल है. दोनों देशों के बीच सैन्य संबंध बेहद मजबूत है. रूस ने भारी संख्या में बेलारूस को अपनी खतरनाक मिसाइलें और अन्य हथियार दिए हैं. जिससे बेलारूस के पड़ोसी नाटो देश टेंशन में रहते हैं.


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