पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण एक बार फिर तेजी से तबाही मचा रहा है. हर दिन रिकॉर्ड तोड मामले दर्ज किए जा रहे हैं. इन सबके बीच ब्रिटेन से एक राहत की खबर आई है. दरअसल यहां एक क्लीनिकल ट्रायल में सैनोटाइज से कोरोना से इलाज में कामयाबी मिलने की बात कही जा रही है. इस ट्रायल के मुताबिक सैनोटाइज के इस्तेमाल करने पर कोरोना संक्रमित मरीज पर वायरस का प्रभाव 24 घंटे में 95 फीसदी और 72 घंटे में 99 प्रतिशत तक कम हो गया.


गौरतलब है कि ये क्लीनिकल ट्रायल बॉयोटेक कंपनी सैनोटाइज रिसर्च एंड डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन (SaNOtize)और ब्रिटेन के एशफोर्ड एंड पीटर्स अस्पताल द्वारा किया गया है. इस ट्रायल में मिले सकारात्मक परिणाम की घोषणा शुक्रवार को की गई थी.


सैनोटाइज, एक नाइट्रिक नेजल स्प्रे (NONS) है


ट्रायल में मिले नतीजों के मुताबिक सैनोटाइज, एक नाइट्रिक नेजल स्प्रे (NONS) है और ये एक बेहद ही सुरक्षित और प्रभावी एंटी वायरल ट्रीटमेंट है. ये कोविड-19 वायरस के संक्रमण को रोकने में कारगर साबित हो रहा है और  वायरल के असर को भी कम कर रहा है. इतना ही नहीं ये पहले से संक्रमित मरीज में नुकसान को भी काफी हद तक कम करने में सफल साबित हुआ है.


कोरोना संक्रमित 79 मरीजों पर किया गया ट्रायल


बता दें कि ट्रायल के लिए कोरोना संक्रमित 79 मरीजों पर सैनोटाइज के असर का आकलन किया गया था. नेजल स्प्रे का इस्तेमाल किए जाने से कोरोना संक्रमित मरीजों में सॉर्स-कोव-2 वायरस लॉग का लोड कम हुआ. गौरतलब है कि पहले 24 घंटे में औसत वायरल लॉग कम होकर 1.362 हो गया. इसी प्रकार 24 घंटे बाद वायरल लोड में 95 फीसदी की कमी दर्ज की गई जबकि 72 घंटे में ये वायरल लोड 99 फीसदी से ज्यादा कम हो गया. ट्रायल में शामिल किए गए मरीजों में ज्यादातर कोरोना के यूके वेरिएंट से संक्रमित थे. ये कोरोना स्ट्रेन काफी घातक माना जाता है. वहीं स्टडी के परिणाम में ये भी बात कही गई है कि इस ट्रायल के समय मरीजों पर कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया.


एनओएनएस नोवल थेरोपेटिक उपचार है


बता दें कि एनओएनएस एकमात्र नोवल थेरोपेटिक उपचार है जो मनुष्यों में वायरल लोड को कम करने में प्रूव हुआ है. यह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार नहीं है. मोनोक्लोनल एंटीबॉडी अत्यधिक विशिष्ट, महंगे होते जो कि अस्पतालों में भर्ती होने के बाद नसों में इंजेक्शन देकर ही किए जा सकते हैं.सैनोटाइज ऊपरी वायुमार्ग में वायरस को मारने के लिए डिज़ाइन किया गया है,  इससे इनक्यूबेट करने और वायरस को फेफड़ों में फैलने से रोका जा सकता है. यह नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) पर आधारित है


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