Bangladeshi Infiltrating In Kishanganj: बिहार के किशनगंज रेलवे स्टेशन से पुलिस ने गुरुवार को चार बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है. रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के निरीक्षक बी. एम. धर ने बताया कि गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिकों के पास कोई सामान या पहचान पत्र नहीं था. उन्होंने बताया कि खुद के पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के निवासी होने का दावा करने वाले इन बांग्लादेशी नागरिकों ने पूछताछ में बताया कि वे अमृतसर जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे थे.


RPF के निरीक्षक ने बताया कि हालांकि आगे की जांच के बाद उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने मंगलवार देर रात जब बीएसएफ का कोई जवान आसपास नहीं था तो सीमा बाड़ को पार किया और ट्रेन पकड़ने के लिए एक सवारी के जरिए किशनगंज पहुंचे थे.


बांग्लादेश के ठाकुरपुर जिले के हैं सभी


निरीक्षक ने बताया कि उनमें से एक जिसने पहले सीमा पार करने की बात स्वीकार की थी, बांग्लादेश के ठाकुरपुर जिले का निवासी है और उसका नाम अज़ीज़ुल है. शेष तीन सुमन दास, अमोल चंद्र बर्मन और रवींद्र चंद्र बर्मन सभी एक ही जिले के निवासी हैं और यह उनकी पहली भारत यात्रा थी. इन बांग्लादेशी नागरिकों के पास से तीन मोबाइल फोन मिले, जिनमें से दो बिना सिम कार्ड के थे. इसके अलावा इनके पास से कुछ भारतीय मुद्रा भी बरामद की गई.


उन्होंने कहा कि इन्हें गिरफ्तार करने के बाद इस मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को भी दे दी गई. इसके बाद पुलिस उपाधीक्षक रेलवे अविनाश दास आगे की जांच और कार्रवाई के लिए कटिहार से पहुंचे. फिलहाल मामले की जांच पड़ताल जारी है.


किशनगंज बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए अड्डा


बता दें कि किशनगंज बिहार के सीमांचल में पड़ता है और यह घुसपैठ के लिहाज से काफी संवेदनशील है. यहां बड़ी संख्या में घुसपैठ होती है. स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1951 से 2011 तक देश की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी जहां चार प्रतिशत बढ़ी है, वहीं सीमांचल में यह आंकड़ा करीब 16 प्रतिशत है. किशनगंज बिहार का ऐसा जिला है, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं. बताया जाता है कि यह सब बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से हुआ है. 2011 की जनगणना के अनुसार, किशनगंज में मुस्लिमों की जनसंख्या 67.58 प्रतिशत थी, तो हिंदू मात्र 31.43 प्रतिशत रह गए. कटिहार में 44.47, अररिया में 42.95 और पूर्णिया में मुस्लिम जनसंख्या 38.46 प्रतिशत हो चुकी है.


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