बीजिंग: चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे का विरोध करते हुए शनिवार को कहा कि इससे सीमा विवाद गहराएगा. मोदी ने अपने एक दिन के अरुणाचल प्रदेश दौरे के दौरान वहां शनिवार को कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया. चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपने अधिकार का दावा करता है और वो इसे दक्षिण तिब्बत बताता है.


चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, "चीन-भारत सीमा विवाद पर चीन का रुख अटल और स्पष्ट है. चीन की सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी है. चीन-भारत सीमा के पूर्वोत्तर खंड में भारतीय नेताओं की गतिविधियों का चीन कड़ा विरोध करता है."


बीजिंग ने कहा कि ऐसे कदमों से दोनों तरफ से रिश्तों में सुधार की दिशा में खासतौर से पिछले साल वुहान में मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद हुई प्रगति को धक्का लगेगा. उन्होंने कहा, "चीन भारत से दोनों देशों के हितों के मद्देनजर चीनी पक्ष के हितों और चिंताओं का ख्याल रखते हुए द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार को बनाए रखने में ऐसी किसी गतिविधि पर संयम रखने का आग्रह करता है जिससे विवाद बढ़े और सीमा का सवाल जटिल बन जाए."


बीजिंग भारत के नेताओं और विदेशी पदाधिकारियों द्वारा अरुणाचल प्रदेश के दौरे से नाराज है और वो इसकी निंदा करता है. अरुणाचल प्रदेश चीन-भारत सीमा विवाद का केंद्र है. साल 2017 में तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे को लेकर चीन ने नाराजगी जाहिर की थी.


चीन और भारत के बीच सीमा विवाद को लेकर 1962 में युद्ध हुआ था. दोनों देशों के बीच 3,444 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है. सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच कई बार टकराव की स्थिति पैदा हुई है. हाल में 2017 में डोकलाम में एक सड़क निर्माण को लेकर दोनों देशों के बीच गतिरोध पैदा हुआ था. हालांकि, पिछले साल मोदी और शी के बीच मुलाकात के बाद दोनों देशों के आपसी रिश्तों में सुधार आया है. दोनों नेताओं ने सीमा पर शांति बनाए रखने का संकल्प लिया.


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