IAEA Reaction On Brahmos Missile Misfire: अंतरराष्ट्रीय परमाणु निगरानी संस्था (IAEA) ने 9 मार्च को दुर्घटनावश ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile) दागे जाने की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. आईएईए ने कहा है कि वो ब्रह्मोस मिसाइल के हालिया मिसफायर को विशेष चिंता के किसी भी कारण के रूप में नहीं देखती है. साथ ही यह घटना किसी भी तरह से भारत में परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons) या सामग्री की सुरक्षा पर सवाल नहीं उठाती है.


अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने कहा कि इस घटना को जोखिम के रूप में नहीं देखा गया था और इस मुद्दे पर भारत सरकार (Indian Government) के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया था.


पाकिस्तान में गिरी थी मिसाइल


परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम एक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल 9 मार्च को दागी गई गई थी. वो मिसाइल फायर होने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) में जा गिरी थी. इस घटना के बाद रक्षा मंत्रालय ने तब कहा था कि मिसाइल के रेगलुर मेंटनेंस के दौरान तकनीकी खराबी के कारण ऐसा हुआ था. सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया था. इस साल अगस्त में, एक कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद भारतीय वायु सेना के तीन अधिकारियों को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया था.


भारत में परमाणु ऊर्जा का उज्जवल भविष्य


राफेल मारियानो ग्रॉसी ने कहा कि हम लगातार दुनियाभर में सभी स्थितियों को देख रहे हैं लेकिन यह (ब्रह्मोस घटना) हमारे लिए कभी भी किसी विशेष चिंता का मुद्दा नहीं था. उन्होंने कहा कि वह भारत में परमाणु ऊर्जा के लिए एक उज्ज्वल भविष्य को देखते हैं. भारत को नए परमाणु के लिए, नई प्रौद्योगिकियों की तैनाती के लिए एक मंच के रूप में देखते हैं. भारत उन कुछ देशों में से एक है जो लगातार ब्रीडर, फास्ट रिएक्टरों, सोडियम रिएक्टरों समेत कई अन्य तकनीकों में काम कर रहा है, जो कि कई देश नहीं कर रहे हैं. हालांकि यह सच है कि भारत में परमाणु उद्योग उस गति से नहीं बढ़ रहा है जिसकी कई लोगों ने उम्मीद की थी, यह तेजी कभी भी आ सकती है.


भारत में हो रहा 10 परमाणु संयंत्रों का निर्माण


भारत (India) के 22 चालू परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (Nuclear Power Plants) की स्थापित क्षमता 6,780 मेगावाट है, जो 407 गीगावाट की कुल स्थापित बिजली क्षमता के दो प्रतिशत से भी कम है. भारत और दस परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण की प्रक्रिया में है, जिनके अगले पांच से दस वर्षों में ऑनलाइन होने की उम्मीद है. भारत में नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को संचालन शुरू करने में आमतौर पर आठ से 15 साल लगते हैं, लेकिन ग्रॉसी ने कहा कि इसे आसानी से तेज किया जा सकता है.


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