Brazil Riots: जायर बोल्सोनारो अब भी खुद को मान रहे ब्राजील का 'राष्ट्रपति', हिंसा के बाद ट्विटर बायो में नहीं किया कोई बदलाव
रविवार को हजारों प्रदर्शनकारियों ने कांग्रेस भवन के साथ-साथ राष्ट्रपति महल और सुप्रीम कोर्ट में तोड़फोड़ की थी. हालांकि, इन हमलों को प्रोत्साहित करने से बोल्सोनारो ने पूरी तरह इनकार कर दिया था.
Jair Bolsonaro Supporter Attack: ब्राजील में हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों की तरफ से हुई हिंसा ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा. इस हिंसा से बेशक बोल्सोनारो ने किनारा कर लिया हो लेकिन उनसे जुड़ी कई बातें कुछ और ही इशारा कर रही हैं. अपने प्रतिद्वंद्वी लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा से हार और उनके राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बावजूद भी बोल्सोनारो ने अपने ट्विटर बायो से 'ब्राजील राष्ट्रपति' शब्द नहीं हटाया है.
यही नहीं, बोल्सोनारो ने बार-बार ब्राजील के संस्थानों की प्रभावकारिता पर संदेह जताया है. उन्होंने उच्चतम न्यायालय पर राजनीतिक रूप से उनके खिलाफ होने का आरोप लगाया और मतदान प्रणाली में धोखाधड़ी होने का खतरा भी जताया. इन सब बातों से वह अपने समर्थकों को यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहे हैं कि पूरा सिस्टम उनके खिलाफ था.
ट्विटर पर एक्टिव हैं बोल्सोनारो
नए राष्ट्रपति के शपथ लेने के बाद भी 67 वर्षीय बोल्सोनारो का ट्विटर बायो अब भी दिखाता है कि वह "ब्राजील के संघीय गणराज्य के राष्ट्रपति" हैं. ऐसा भी नहीं है कि वह ट्विटर पर सक्रिय नहीं है. वह लगातार यहां सक्रिय हैं लेकिन बायो अब भी बदला नहीं है. धुर दक्षिणपंथी नेता बोल्सोनारो करीब 10 दिन पहले अमेरिका के लिए रवाना हुए थे. पिछले हफ्ते हुई हिंसा में किसी भी तरह की भूमिका से उन्होंने इनकार किया था.
1500 से अधिक समर्थक हिरासत में
दूसरी ओर इस हिंसा के दौरान ब्रासीलिया में सरकारी इमारतों पर धावा बोलने वाले बोल्सोनारो के समर्थकों पर सुरक्षाबलों ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. उन्होंने राजधानी में सेना के मुख्यालय के बाहर और अन्य स्थलों पर विरोध शिविरों को तोड़ना शुरू कर दिया है. बोल्सोनारो के 1500 से अधिक समर्थकों को हिरासत में लिया गया है. बता दें कि रविवार को हजारों प्रदर्शनकारियों ने कांग्रेस भवन के साथ-साथ राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट में तोड़फोड़ की थी. हालांकि, इन हमलों को प्रोत्साहित करने से इनकार करते हुए बोल्सोनारो ने कहा था कि यह लोकतांत्रिक विरोध के मानदंडों से परे है.
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