साउ पाउलो: ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट के जज रोसा वेबर ने शुक्रवार की देर रात बोल्सोनारो के खिलाफ टॉप प्रोसिक्यूटर ऑफिस या पीजीआर को आपराधिक जांच की अनुमति दे दी. यह जांच भारतीय कोविड-19 वैक्सीन, कोवैक्सीन की खरीद की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते की जा रही है.
सरकार के महामारी से निपटने के तरीकों की जांच कर रहे ब्राजील की सीनेट कमीशन ने सौदे में ज्यादा कीमत और भ्रष्टाचार का संदेह जताया था. अनियमितता के आरोप सामने आने के बाद सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट सस्पेंड कर दिया था. ब्राजील कोरोना से मौतों के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है.
सीजीयू भी अनियमितताओं की अलग से कर रहे जांच
बोल्सोनारो, वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के साथ फरवरी में किए गए 20 मिलियन खुराक के लिए किए गए 31.6 करोड़ डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट में अनियमितताओं के आरोपों का सामना कर रहे हैं. ब्राजीलियन फेडरल प्रोसिक्यूटर एंड कन्ट्रोलर जनरल ऑफिस या सीजीयू भी सौदे में कथित अनियमितताओं की अलग से जांच कर रहे हैं. सांसदों के अनुसार, इस मामले में कथित तौर पर कांग्रेस के निचले सदन में सरकार के मुख्य सचेतक रिकार्डो बैरोस शामिल हैं. बोल्सोनारो और बैरोस ने किसी भी तरह के गलत कार्य से इनकार किया है.
कोर्ट ने सबूत जुटाने के लिए 90 दिन का समय दिया
पीजीआर द्वारा राष्ट्रपति की जांच को औपचारिक रूप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिकृत किया जाना था. अपने फैसले में जज वेबर ने मामले से संबंधित साक्ष्य एकत्रित करने के लिए अधिकारियों को 90 दिन का समय दिया है. वहीं, भारत बायोटेक वैक्सीन खरीद में किसी तरह की अनियमितता से इनकार कर चुकी है.
यह भी पढ़ें
US Independence Day: आज अमेरिका की आजादी की 245वीं वर्षगांठ, जानिए क्या है स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
अनिश्चितता के बावजूद नेपाल के निर्वाचन आयोग ने नवंबर में आम चुनाव की तैयारियां शुरू की