(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Germany Mosque: जर्मनी की सबसे बड़ी मस्जिद में पहली बार हुई लाउडस्पीकर के साथ सामूहिक नमाज
जर्मनी की सबसे बड़ी मस्जिद में से एक से पहली बार लाउडस्पीकर पर अजान दिया गया है. बता दें कि कोलोन में जर्मनी की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है.
Loud Sppee in Germany Mosque “नमाज़-ए-इश्क़ पढ़ी तो मगर ये होश किसे, कहां कहां किए सज्दे कहां क़याम किया.” सिराज लखनवी की यह उर्दू शायरी नमाज के महत्व और नमाज में डूब चुके शख्स का हाले दिल बयां करती है. बात जब धर्म और खुदा की हो तो ये मोहब्बत अक्सर कई लोगों में नजर आती है, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ बंदिशों की वजह से दिल और मोहब्बत दोनों के होते हुए भी हमें इजहारे इश्क से बचना पड़ता है. पर जब यह बंदिशें हटती हैं तो खुशी चेहरे पर साफ नजर आती है. कुछ ऐसी ही खुशी शुक्रवार को उन लोगों के चेहरे पर दिखी, जो जर्मनी की सबसे बड़ी मस्जिद में से एक से पहली बार लाउडस्पीकर पर अजान देने आए थे. बता दें कि कोलोन में जर्मनी की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है. यहां प्रशासन की तरफ से लाउडस्पीकर के साथ अजान की अनुमति मिलने के बाद शुक्रवार को पहली बार सार्वजनिक रूप से लोगों के जुटने का आह्वान भी किया था, लेकिन बहुत सीमित संख्या में ही लोग पहुंचे.
शुक्रवार से अमल में लाया गया फैसला
जर्मनी के चौथे सबसे बड़े शहर में अधिकारियों ने पिछले साल मस्जिदों के लिए दोपहर से 3 बजे के बीच अधिकतम पांच मिनट के लिए लाउड स्पीकर पर नमाज की अनुमति दी थी. इसके बाद बीच में कोरोना की वजह से ऐशा नहीं हो पाया और मॉल पर प्रतिबंध लागू ही रहे, लेकिन अब हालात सामान्य होने के बाद शुक्रवार को इसे अमल में लाया गया.
सेंट्रल मस्जिद से की गई थी अपील
नमाज करने का आह्वान जर्मनी के लिए पहली बार नहीं था, लेकिन इसे एक विशेष रूप से प्रमुख मस्जिद में लाया. सेंट्रल मस्जिद, दो लंबी मीनारों वाली एक आधुनिक इमारत, कोलोन शहर के पश्चिम में एक व्यस्त सड़क पर स्थित है। तुर्की-इस्लामिक यूनियन फॉर रिलिजियस अफेयर्स, या DITIB द्वारा संचालित, इसका उद्घाटन 2018 में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने किया था.
#Azan has been allowed on #Loudspeaker in #Germany's grand #Mosque for the first time with limited audio. pic.twitter.com/0jSxyNZB3I
— JAVED AKHTAR جاوید اختر (@javedakhtar90) October 14, 2022
कुछ लोग विरोध में भी उतरे
जर्मनी में अब तक केवल इमारत के अंदर ही नमाज की पुकार सुनाई देती थी, लेकिन शुक्रवार की दोपहर की शुरुआत में, इसे दो लाउडस्पीकरों के माध्यम से प्रसारित किया गया था, हालांकि अधिकारियों ने यह निर्धारित किया था कि यह आसपास के निवासियों के लिए 60 डेसिबल तक सीमित होना चाहिए. कॉल पांच मिनट से भी कम समय तक चली और केवल मस्जिद के बाहर ही सुनी जा सकती थी। सड़क के दूसरी ओर, लगभग 20 प्रदर्शनकारी बैनरों के साथ एकत्र हुए, जिनमें से एक ने "कोलोन में नो मुअज़्ज़िन कॉल!" की मांग की। सार्वजनिक स्थान वैचारिक रूप से तटस्थ होना चाहिए" वे ईरान में विरोध प्रदर्शनों के विरोध में महिलाओं के एक समूह में शामिल हुए.