ब्रेस्ट इम्लांट यानी स्तन रोपण एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसके जरिए महिलाएं खुद को खूबसूरत दिखने की कोशिश करती हैं. हालांकि, ब्रेस्ट इम्प्लांट की कई वजह हो सकती है, जैसे- या तो वह अपने शारीरिक दिखावट में बदलाव करना चाहती है या फिर ब्रेस्ट कैंसर से बचाव या ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए स्तन-उच्छेदन (मैस्टेक्टोमी) कराती है, इसमें महिलाओं को स्तन की पुनर्रचना की जरूरत पड़ती है.
आमतौर पर स्तनों का आकार देने के लिए ब्रेस्ट में सिलिकॉन या सलाइन इम्प्लांट किया जाता है, जिससे कि ब्रेस्ट भरा हुआ और बेहतर आकार का हो पाए. लेकिन अगर यह गलत इम्प्लांट किया जाए तो इसका महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है. गलत ब्रेस्ट इम्लांट के चलते फ्रेंच अपील कोर्ट ने यह फैसला किया है कि पीआईपी ब्रेस्ट स्कैंडल की 250 से पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा.
इन महिलाओं में करीब 540 ब्रिटेन की महिलाएं थीं, जिन्होंने कहा कि वह पिछले 10 साल की लंबी लड़ाई के थकान के बावजूद उत्साहित है. इसके साथ ही, कोर्ट ने पूर्व के फैसले, जिसमें जर्मनी की कंपनी टीयूवी रेनलेंड को लापरवाही के लिए जिम्मेदार माना था, उस फैसले को बरकरार रखा. यह कंपनी गलत इम्प्लांट के लिए सेफ्टी सार्टिफिकिट जारी करती थी. कोर्ट के इस फैसले का दूरगामी और हजारों पीड़ितों को ऊपर असर होगा.
उन महिलाओं में से एक हैं जॉन स्पिवे, जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर के चलते स्तन उच्छेदन (मैस्टेक्टोमी) की वजह से पीआईपी इम्प्लांट किया गया. लेकिन, इसके बाद उन्हें जोड़ों सीने और पीठ में दर्द, थकान, गंभीर सिरदर्द होने लगा. एक बार हटाने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि उसके प्रत्यारोपण से उसके शरीर में सिलिकॉन लीक हो रहा था.
उन्होंने कहा कि 20 साल पहले मैंने पीआईपी इम्प्लांट कराया था जो मेरी लाइफ और मेरे स्वास्थ्य पर असर डाल रहा था. निकोला मासोन जिनके स्तन प्रत्यारोपण हुए थे, जो तब टूट गए थे, उन्होंने कहा कि अदालत का फैसला "एक जीत है और यह आश्चर्यजनक है". गौरतलब है कि फ्रांस की कंपनी पीआईपी यानी पॉली इम्प्लांट प्रोथीज ने घटिया क्वालिटी का इम्लांट इस्तेमाल किया था.
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