लंदन: मुश्किलों में घिरीं ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे के खिलाफ बुधवार को संसद में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया. इससे एक दिन पहले यूरोपीय संघ के साथ ब्रेक्जिट समझौते को लेकर संसद में उनकी ऐतिहासिक हार हुई थी. 325 सांसदों ने उनकी सरकार का समर्थन किया जबकि 306 सांसदों ने संसद में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया.
मे के ब्रेक्सिट समझौते के पक्ष में 202 मत पड़े, जबकि 432 इसके खिलाफ पड़े. इससे 29 मार्च को यूरोपीय संघ (ईयू) से ब्रिटेन के बाहर होने (ब्रेक्सिट) का मुद्दा जटिल हो गया है. सरकार की इतनी बड़ी हार के बाद मे के इस्तीफे की संभावना थी, लेकिन मतदान के तुरंत बाद दिए बयान में उन्होंने पद पर बने रहने का संकेत दिया.
मे ने फैसला स्वीकार करते हुए कहा कि वह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का स्वागत किया था. प्रधानमंत्री ने कहा, "सदन ने अपनी बात कही है और सरकार सुनेगी."
ब्रिटेन 1973 में 28 सदस्यीय यूरोपीयन यूनियन का सदस्य बना था. उसे 29 मार्च को ईयू से अलग होना है. ईयू से अलग होने की तारीख आने में केवल दो महीने बचे हैं, लेकिन ब्रिटेन अभी तक यह निर्णय नहीं ले पाया है कि उसे क्या करना है.
ब्रेक्जिट के समर्थक और ब्रिटेन के ईयू में बने रहने के समर्थक दोनों कई कारणों से इस समझौते का विरोध कर रहे है. कई लोगों को आशंका है कि ब्रेक्जिट के कारण ब्रिटेन के यूरोपीयन यूनियन के साथ व्यापार संबंध बिगड़ सकते हैं.