कोरोना वायरस महामारी के कारण BRICS और SCO समिट हुआ रद्द
ब्रिक्स ब्राजील,रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका एक प्रभावशाली समूह है जो 3.6 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करता है.
नई दिल्लीः कोरोना वायरस महामारी की चपेट में आने के कारण पूरी दुनिया थम सी गई है. पहले से तय कई चीजों को लेकर या तो बदलाव किए गए हैं या उसे रद्द कर दिया गया है. अब कोविड-19 की वजह से BRICS और SCO समिट रद्द कर दिया गया है. नई तारीखों का ऐलान अब कोरोना वायरस की स्थिति को देखते हुए किया जाएगा.
ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) एक प्रभावशाली समूह है जो 3.6 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करता है. इस समूह का कुल जीडीपी 16 हजार 600 अरब डालर है. बता दें कि कोरोना की मार इस वक्त ब्रिक्स समूह के सभी देश झेल रहे हैं.
बताया जा रहा था कि इस बार समिट में कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार पर रोक लगाने के लिए सहयोग बढ़ाने के रास्तों और आर्थिक विकास को बहाल करने की चुनौतियों पर चर्चा होनी थी.
The new dates for these summits will be determined on the basis of the epidemiological situation in the states participating in these associations, and around the world: President of Russia #COVID19 https://t.co/3alfXoYUQK
— ANI (@ANI) May 27, 2020
चीन ने कहा- ब्रिक्स देशों के सामने यह गंभीर समस्या, एकजुट रहने की जरूरत
चीन ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर अमेरिका और अन्य देशों की ओर से बढ़ते दबाव के बीच ब्रिक्स देशों से कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए एकजुट रहने और सही कदम उठाने के लिये कहा है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाल में ही बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में कोविड-19 के तेजी से प्रसार ने पूरे विश्व में लोगों की जान और स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल दिया है. इससे दुनिया भर में लोगों की आवाजाही बाधित हुई है. साथ ही इसने ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के सामने भी गंभीर चुनौती पेश की है.
वांग ने कहा, '' क्या हमें विज्ञान और तर्क को हावी होने देना चाहिए या राजनीतिक विभाजन पैदा करना चाहिए. सीमाओं पर सहयोग को कम करना चाहिए या खुद को अलग-थलग कर लेना चाहिए. बहुपक्षीय समन्वय को बढ़ावा देना चाहिए या एकतरफावाद का पालन करना चाहिए? हम सभी को इन सवालों के ऐसे जवाब देने चाहिये जो इतिहास की कसौटी पर खरे उतरें.''
ब्रिक्स का मकसद इस संगठन के माध्यम से ब्रिक्स समूह में शामिल देश अपनी अपनी आर्थिक, वैज्ञानिक, सुरक्षा आदि शक्तिाओं को प्राप्त करने के लिए आपसी व्यावसायिक रिश्तों को मजबूत करते हुए समृद्धि की दिशा में बढ़ने के लिए प्रयास करते हैं. सभी जानते हैं कि अमेरिकी डालर एक प्रमुख शक्तिशाली मुद्रा है और ब्रिक्स देशों का उद्देश्य है कि डालर के स्थान पर अन्य मुद्राओं का उपयोग कर उन मुद्राओं को भी विश्व स्तर पर मजबूत कर सकें. इसके साथ ही ब्रिक्स का मकसद विकासशील देशों के लिए एक विशेष व्यापार ब्लॉक तैयार करना है. रूस में हुआ था पहला सम्मेलन इस दिशा में 2006 में न्यूयॉर्क में ब्रिक देशों के विदेश मंत्रियों का एक अधिवेशन आयोजित किया गया जिसमें भारत, ब्राजील, रूस और चीन देश ने ब्रिक की स्थापना करने पर चर्चा की, जिसके बाद वर्ष 2009 में रूस में पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया. वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका इस संगठन का हिस्सा बना. संगठन के प्रमुख नेताओं के नाम ब्राजील- मिशेल टेमर राष्ट्रपति रूस- व्लादिमीर पुतिन राष्ट्रपति भारत- नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री दक्षिण अफ्रीका- सिरिल रामाफोसा राष्ट्रपति चीन- शी जिनपिंग राष्ट्रपति कब कहां आयोजित हुए सम्मेलन: 1- प्रथम शिखर सम्मेलन 16 जून, 2009 रूस 2- दूसरा शिखर सम्मेलन 15 अप्रैल, 2010 ब्राजील 3- तीसरा शिखर सम्मेलन 14 अप्रैल, 2011 चीन 4- चौथा शिखर सम्मेलन 29 मार्च, 2012 भारत 5- पांचवा शिखर सम्मेलन 26-27 मार्च 2013 दक्षिण अफ्रीका 6- छठा शिखर सम्मेलन 14-17 जुलाई 2014 ब्राजील 7- सातवां शिखर सम्मेलन 8-9 जुलाई 2015 रूस 8- आठवां शिखर सम्मेलन 15-16 अक्टूबर 2016 भारत 9- नौंवा शिखर सम्मेलन 3-5 सितंबर 2017 चीन 10- दसवां शिखर सम्मेलन 5-27 जुलाई 2018 दक्षिण अफ्रीका 11- ग्यारहवां शिखर सम्मेलन 11 नवंबर 2019 ब्राजील