BRICS Summit 2024: इस वक्त रूस के कजान शहर में 16वें ब्रिक्स सम्मेलन 2024 का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर समूह में शामिल 5 देशों के शीर्ष नेता एक ही छत के नीचे मौजूद हैं. इनमें भारत, रूस, चीन, ब्राजील और साउथ अफ्रीका शामिल है. हालांकि, इसके अलावा कई ऐसे भी देश हैं, जिन्हें निमंत्रण पर बुलाया गया है. सम्मेलन की अध्यक्षता रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कर रहे हैं. अगर इस समूह के इतिहास की बात करें तो इसकी स्थापना साल 2006 में दुनिया में बढ़ती अमेरिकी और यूरोपीय देशों की संप्रभुता को चुनौती देने के लिए किया गया था, जिसमें आर्थिक पक्ष सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है.


हालांकि, स्थापना के 18 सालों के बाद आज की स्थिति काफी अलग नजर आ रही है, क्योंकि, जो सपना देखकर इस समूह की स्थापना की गई थी. वो सच साबित होते दिखाई दे रही है.


ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिक्स देशों के बढ़ते आर्थिक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी संयुक्त जीडीपी अब 60 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गई है, जो जी 7 देशों से आगे निकल गई है. जी-7 देशों की बात करें तो इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल है.


बीते शुक्रवार को 18 अक्टूबर को  मॉस्को में ब्रिक्स बिजनेस फोरम में बोलते हुए पुतिन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार देने में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका वाले ब्रिक्स ब्लॉक के बढ़ते महत्व पर जोर दिया.


ब्रिक्स समूह के पास पैसों का भंडार
ब्रिक्स समूह में शामिल 5 देश जी 20 का भी हिस्सा है, जो पिछले साल भारत में आयोजित किया गया था. हालांकि, अगर सिर्फ ब्रिक्स समूह की बात करें तो दुनिया के 33 फीसदी जीडीपी इस समूह के पास है, जो 65 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है. वहीं विदेशी भंडार में 5.2 ट्रिलियन डॉलर पैसा है. पुतिन के अनुसार, 1992 के बाद से आर्थिक दृष्टि से नाटकीय बदलाव देखने को मिला है, जब जी 7 देशों का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 45.5 फीसदी हिस्सा था, जबकि ब्रिक्स देशों की हिस्सेदारी केवल 16.7 फीसदी का था. हालांकि, 2023 में ये आंकड़ा G7 के 29.3 फीसदी की तुलना में BRICS ब्लॉक का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 37.4 फीसदी  है.


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