(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
ब्रिटेन ने चीन की Huawei पर लगाया प्रतिबंध, 2027 तक हटायी जाएंगी सभी 5जी किट
हुवावेई पर ब्रिटेन के इस प्रतिबंध को अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार की एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है.
लंदन/बीजिंग: ब्रिटेन के 5जी नेटवर्क से चीन की हुवावे को 2027 के अंत तक पूरी तरह हटा दिया जाएगा. ब्रिटेन के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र (एनसीएससी) के हुवावे पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के असर की समीक्षा के बाद सरकार ने मंगलवार को यह घोषणा की. इससे पहले चीन की इस कंपनी को ब्रिटेन ने अपने 5जी नेटवर्क विस्तार में सीमित तौर पर काम करने की अनुमति दी थी.
प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन की अध्यक्षता में हुई एनसीएससी की बैठक में हुवावे पर मई में लगाए गए नए अमेरिकी प्रतिबंधों की समीक्षा के बाद यह निर्णय किया गया. इन नए प्रतिबंध से चीनी कंपनी अमेरिकी सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी पर आधारित उत्पादों को प्राप्त नहीं कर सकती है.
ब्रिटेन के इस प्रतिबंध के बाद उसके नेटवर्क से हुवावे का सामान पूरी तरह से हटा दिया जाएगा. वहीं 31 दिसंबर 2020 के बाद किसी भी नए 5जी किट को खरीदने पर पूर्ण पाबंदी रहेगी.
ब्रिटेन के डिजिटल, सांस्कृतिक, मीडिया और खेल सचिव ओलिवर डाउडेन ने कहा कि 5जी हमारे देश के लिए बदलने वाली प्रौद्योगिकी होगी. लेकिन यह तभी संभव होगा जब हमें उसके लिए खड़े किए गए बुनियादी ढांचे पर पूरा भरोसा हों और हम उसकी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हों.
ओलिवर डाउडेन ने कहा कि हुवावे पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद हमारे साइबर विशेषज्ञों की सलाह पर सरकार ने हुवावे को हमारे 5जी नेटवर्क के लिए प्रतिबंधित करने का निर्णय किया है. जनवरी 2021 के बाद ब्रिटेन के 5जी नेटवर्क में कोई भी नई 5जी किट नहीं जोड़ी जाएगी. वहीं 2027 तक देश का 5जी नेटवर्क हुवावे से मुक्त होगा.
डाउडेन ने कहा कि अगले आम चुनाव (2024) तक सरकार इस प्रतिबंध को कानून का रूप दे देगी ताकि हमारे 5जी नेटवर्क से हुवावे को पूरी तरह हटाने का रास्ता साफ हो सके. हुवावे पर ब्रिटेन के इस प्रतिबंध को अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार की एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है.
ब्रिटेन के इस फैसले पर निराशा जताते हुए हुवावे ने बीजिंग में जारी एक बयान में कहा कि यह ब्रिटेन में मोबाइल फोन रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक बुरी खबर है. यह एक निराशाजनक फैसला है. यह ब्रिटेन को धीमी डिजिटल राह पर धकेलने, डिजिटल डिवाइड को बढ़ाने और महंगे बिलों की तरफ ले जाने वाला फैसला है.
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