ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने ईरान पर पाबंदियों को क्यों रखा बरकरार?
Joint Comprehensive Plan Of Action Deal: ईरान ने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की आलोचना की है. पाबंदी पर उसने कहा, 'यह अवैध और उकसाने वाला फैसला है.'
Iran Santions: ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने ईरान पर लगाई गई न्यूक्लियर पाबंदी को बरकरार रखने की घोषणा की है. इसके पीछे की वजह ईरान के द्वारा रूस को ड्रोन और मिसाइल बेचने को बताया जा रहा है. साल 2015 में ईरान ने ज्वाइंट कांप्रीहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन डील किया था. इसे 2015 ईरान न्यूक्लिर डील के तौर पर भी जाना जाता है. इस डील के तहत ईरान ने न्यूक्लियर गतिविधियों को सीमित करने का समझौता किया था. इस समझौते के तहत ईरान किसी भी देश को मिसाइल या ड्रोन न खरीद सकता है न बेच सकता है.
रूस को मिसाइल और ड्रोन बेचे जाने के बाद ईरान को लेकर ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने एक साझा बयान दिया है जिसमें कहा गया कि ईरान की ओर से समझौते का अनुपालन नहीं करने की वजह से ईरान पर हथियारो के खरीद-ब्रिक्री पर पाबंदियां बरकरार रखी जाएंगी.
हालांकि समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, इन देशों के मंत्रालय ने कहा है कि अगर ईरान अपनी समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने पर विचार करता है तो वे फैसले को बदल देंगे. ईरान ने इस कदम की आलोचना की है. बीबीसी के मुताबिक, ईरान ने कहा है कि ये फैसला 'अवैध और उकसाने वाला' है.
समझौते के तहत इस साल अक्टूबर 2023 में ईरान पर हथियारों के खरीदने और बेचने पर लगी पांबदियां हटाई जानी थी. द गार्जियन के मुताबिक, पाबंदियों के हटाए जाने के बाद ईरान 300 किमी तक मारक क्षमता वाला मिसाइल या ड्रोन खरीद या बेच सकता था, लेकिन इससे पहले ही ईरान पर समझौते के उल्लंघन का आरोप लग गया और पाबंदियों को हटाने के फैसले पर रोक लगा दी गई.
ईरान पर कब-कब लगी पाबंदी?
साल 2006-07 में सुरक्षा परिषद ने ईरान पर न्यूक्लियर व्यापार पर रोक लगा दी. इसके बाद साल 2010 में भी सैन्य हथियारों के खरीदने पर रोक लगा दी गई. साल 2015 में ईरान ने समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके बाद ईरान को कुछ छूट मिली थी, मगर 2020 में अमेरिका ने स्नैप वैक की घोषणा करते हुए समझौते से खुद को बाहर कर लिया. स्नैप वैक यानी दोबारा से प्रतिबंध लागू. हालांकि इस फैसले के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की खूब आलोचना हुई थी. 2015 में हुए समझौते के तहत शर्त थी कि कुछ सालों के बाद ईरान की परमाणु गतिविधियों की समीक्षा की जाएगी और फिर पाबंदियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी.
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