ब्रिटेन ने किया ईयू से अलग होने का एलान, नीली, लाल और सफेद रोशनी में नहाईं लंदन की सरकारी इमारतें
प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद ब्रिटेन 47 साल बाद आधिकारिक तौर पर 28 देशों वाले यूरोपियन यूनियन से अलग हो गया.2016 के जनमत संग्रह में 52 फीसदी लोगों का मानना था कि ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से निकल जाना चाहिए माना का जा रहा है कि ब्रिटेन के ईयू यानी यूरोपियन यूनियन से अलग होने को भारत को फायदा होगा.
लंदन: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने आखिरकार 31 जनवरी को ब्रेक्जिट से अलग होने का एलान कर दिया. प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद ब्रिटेन 47 साल बाद आधिकारिक तौर पर 28 देशों वाले यूरोपियन यूनियन से अलग हो गया. माना का जा रहा है कि ब्रिटेन के ईयू यानी यूरोपियन यूनियन से अलग होने को भारत को फायदा होगा. इससे ब्रिटेन के साथ भारत के संबंधों को मजबूती मिलेगी.
ब्रिटेन के ईयू से अलग होने का एलान करते हुए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसे ऐतिहासिक अवसर करार दिया. उन्होंने कहा, ''आज रात हम यूरोपियन यूनियन से अलग हो गए और ब्रिटेन के लिए यह एक ऐतिहासिक मौका है. हम एक साथ मिलकर ब्रेक्जिट से उत्पन्न होने वाले सभी अवसरों का भरपूर लाभ उठाएंगे, इससे पूरे ब्रिटेन की क्षमता उजागर होगी.''
क्या है ब्रेक्जिट डील? ब्रेक्जिट का मतलब है ब्रिटेन एक्जिट यानि ब्रिटेन का यूरोपीय यूनियन से बाहर जाना. 2016 में ब्रिटेन में ब्रेक्जिट को लेकर जनमत संग्रह किया गया था जिसमें 52 फीसदी लोगों का मानना था कि ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलना चाहिए जबकि 48 फीसदी लोगों की राय ब्रेक्जिट के विरोध में थी.
ईयू से क्यों अलग होना चाहता था ब्रिटेन दरअसल साल 2008 में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आने लगी थी, महंगाई और बेरोजगारी बढ़ रही थी वहीं जनता भी बेहद परेशान हो चुकी थी. ऐसे में ये मांग उठी कि ब्रिटेन को ईयू यानि यूरोपीय यूनियन से अलग हो जाना चाहिए.
इस मांग के पीछे तर्क ये था कि ब्रिटेन को हर साल ईयू के बजट के लिए 9 अरब डॉलर देने होते हैं, साथ ही फ्री वीजा पॉलिसी के कारण भी ब्रिटेन को नुकसान हो रहा है. ईयू से अलग होने की मांग करने वाले लोगों का मानना था कि ईयू ने ब्रिटेन की मंदी को दूर करने के लिए कुछ खास नहीं किया जबकि ब्रिटेन ने हमेशा ईयू के लिए काफी कुछ किया है.
ब्रेक्जिट मुद्दा जॉनसन की जीत का कारण बना 650 सीटों वाली ब्रिटेन की संसद में कंजरवेटिव पार्टी ने 364 सीटें जीती हैं जबकि बहुमत के लिए 326 सीटों की जरूरत थी. कंजरवेटिव पार्टी की सबसे बड़ी विरोधी लेबर पार्टी को केवल 203 सीटें मिलीं. पिछली बार की तुलना में जहां कंजरवेटिव की 47 सीटें बढ़ गईं वहीं लेबर पार्टी को 59 सीटों का नुकसान हुआ. माना जा रहा है कि ब्रेक्जिट मुद्दा जॉनसन की जीत का कारण बना. जीत के बाद धानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा था कि उन्हें जो जनादेश मिला है वो ब्रेक्जिट के पक्ष में है और अब वो ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग कराने वाली ब्रेक्जिट डील को लागू करा सकेंगे.