Britain Queen Elizabeth-II Kohinoor: ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली महारानी एलिजाबेथ-II (Queen Elizabeth-II) का गुरुवार को 96 साल की उम्र में निधन हो गया. क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के साथ दशक लंबे शासन के बाद अब कीमती कोहिनूर हीरे (Kohinoor Diamond) से जड़ा हुआ मुकुट अगल पीढ़ी के पास चला जाएगा. महारानी के निधन के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब बेशकीमती कोहिनूर जड़ा मुकुट किसके सिर की शान बढ़ाएगा.
महारानी एलिजाबेथ-II के निधन के बाद कई लोगों का सुझाव है कि कोहिनूर जड़ित मुकुट को अगले सम्राट यानी किंग चार्ल्स III को सौंप देना चाहिए. हांलाकि, ब्रिटेन के राज परिवार और कोहिनूर के इतिहास के अनुसार, हीरा अलगी रानी कंसोर्ट कैमिला पार्कर बाउल्स (Camilla Parker Bowles) को समर्पित किया जाना चाहिए.
महारानी ने की थी ये घोषणा
बता दें कि कोहिनूर हीरा वर्तमान में प्लेटिनम के मुकुट में है जिसे महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने इंग्लैंड के सम्राट के रूप में अपने शासनकाल के दौरान पहना था. इस साल फरवरी में, महारानी ने घोषणा की थी कि जब चार्ल्स इंग्लैंड में राजशाही की बागडोर संभालेंगे तो कैमिला पार्कर बाउल्स क्वीन कंसोर्ट बनेंगी. अब, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद इस बात की पूरी संभावना है कि कैमिला कोहिनूर पहनेगी.
कोहिनूर का इतिहास
कोहिनूर को अक्सर दुनिया के सबसे कीमती हीरे के रूप में जाना जाता है, जिसका वजन 105.6 कैरेट है. हीरा भारत में 14वीं सदी में मिला था. जहां तक कोहिनूर हीरे के इतिहास की बात है यह कीमती हीरा आंध्र प्रदेश के गुंटूर में काकतीय राजवंश के शासनकाल में मिला था. वारंगल में एक हिंदू मंदिर में इसे देवता की एक आंख के रूप में इस्तेमाल किया गया था, जिसके बाद मलिक काफूर (अलाउद्दीन खिलजी का जनरल) ने इसे लूट लिया था.
मुगल साम्राज्य के कई शासकों को सौंपे जाने के बाद, सिख महाराजा रणजीत सिंह लाहौर में इसे अपने अधिकार में ले लिया और पंजाब आ गए. महाराज रणजीत सिंह के बेटे दिलीप सिंह के शासन के दौरान पंजाब के कब्जे के बाद 1849 में महारानी विक्टोरिया को हीरा दिया गया था. कोहिनूर वर्तमान में ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में स्थापित है, जो टॉवर ऑफ लंदन के ज्वेल हाउस में संग्रहीत है और जनता इसे देश सकती है.
इसे भी पढ़ेंः-
बाबर से लेकर ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-II तक, कहानी उस कोहिनूर हीरे की जो भारत का है