British Army: हॉलीवुड की एक फिल्म है 'टर्मिनेटर', जिसमें हीरो एक रोबोट होता है, जो दिखने में बिल्कुल इंसान ही लगता है. इस फिल्म में उसे 'सुपर सोल्जर' के तौर पर दिखाया गया है, जिसके पास असीम ताकत है. वह अपने दुश्मनों से बड़ी आसानी से निपट लेता है. ठीक इसी तरह से अब ब्रिटेन भी एक ऐसा ही 'सुपर सोल्जर' तैयार करने का प्लान बना रहा है, जो युद्ध के मैदान में दुश्मन के छक्के छुड़ा दे.


डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की सेना 'बायोनिक' सैनिक तैयार करने प्लान बना रही है, जिसमें टर्मिनेटर जैसी ताकत हो. बायोनिक का मतलब है कि शरीर के हिस्से मैकेनिकल होंगे, जैसे रोबोट्स के होते हैं. ब्रिटिश सरकार के दस्तावेजों के मुताबिक, ऐसे बायोनिक तैयार किए जाएंगे, जिन्हें सैनिकों के शरीर के भीतर ही फिट किया जा सकता है या फिर सैनिक उन्हें एक कवच के तौर पर पहन पाएंगे. 


2030 तक 'एक्सोस्केलेटन' पहनेंगे ब्रिटिश सैनिक


ब्रिटेन ऐसे 'बायोनिक' सैनिक करना चाहता है, जो दीवारों के आर-पार देख पाएं, बिना कुछ कहे दिमाग के जरिए ही एक-दूसरे से कम्युनिकेट कर पाएं या ऐसे केमिकल का पता लगा पाएं, जिनकी दुर्गंध नहीं आती है. पहले फेज में 2030 तक ब्रिटिश सैनिक खुद को सुरक्षित रखने के लिए 'एक्सोस्केलेटन' पहनना शुरू कर देंगे, जिससे न सिर्फ वे गोलियों से बच पाएंगे, बल्कि उनकी ताकत और स्पीड भी बढ़ जाएगी. 


दरअसल, एक्सोस्केलेटन एक बाहरी कवच की तरह है, जो सैनिकों के शरीर को कवर करता है. मशीनरी से लैस एक्सोस्केलेटन से सैनिकों की ताकत बढ़ जाती है. एक्सोस्केलेटन सैनिकों को भारी चीजों को उठाने की ताकत भी देता है. एक्सोस्केलेटन आमतौर पर धातु या कार्बन फाइबर से बने होते हैं. फिलहाल इस टेक्नोलॉजी पर दुनियाभर में काम चल रहा है. 


सैनिकों की तैयार होगी नई नस्ल


इस बात की खबरें हैं कि चीन में भी इस तरह के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. यही वजह है कि अब जर्मनी के रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर ब्रिटेन भी ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम करने जा रहा है. ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों में आने वाले वर्षों में इस टेक्नोलॉजी पर होने वाले काम की जानकारी दी गई है. इसमें कहा गया है कि सैनिकों की एक नई नस्ल तैयार की जाएगी. इसके लिए रोबोटिक्स और एआई पर काम होगा. 


सैनिकों को दीवारों के आर-पार देखने की ताकत देने का भी प्लान है. इसके लिए उनके रेटिना में नैनोपार्टिकल्स लगाए जाएंगे, जो उन्हें एक्स-रे जैसा विजन देंगे. ब्रिटिश सेना के एक पूर्व कर्नल हामिश डी-ब्रेटन-गोर्डन ने कहा कि हम ज्यादा से ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन हमें इसके नुकसान को भी समझने की जरूरत पड़ेगी.


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