Can India Pakistan Become Friends Again: भारत और पाकिस्तान के रिश्ते जगजाहिर हैं. पाकिस्तान अक्सर उकसाने वाली कार्रवाई कर भारत को एक्शन लेने के लिए मजबूर करता रहा है. ठीक भारत और पाकिस्तान की तरह ही पहले फ्रांस और जर्मनी के बीच कड़वे रिश्तों की बात होती थी. पिछले कई सालों में फ्रांस और जर्मनी (France And Germany Relations) की सदियों पुरानी दुश्मनी से बने घाव अब काफी हद तक भरे हैं. दोनों की दोस्ती एक नया इतिहास लिख रही है.


पेरिस की फेमस सोरबॉन यूनिवर्सिटी में रविवार (22 जनवरी) को एलिजे संधि (Elysee Treaty) की 60वीं वर्षगांठ मनाई गई. यह पेरिस और बर्लिन के बीच विदेशी, रक्षा और सांस्कृतिक नीतियों में द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक रोडमैप निर्धारित करता है.


फ्रांस-जर्मन संबंध कितने जीवंत?


फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) और जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ (Olaf Scholz) समेत कई नेता प्रतिष्ठित पेरिस सोरबॉन यूनिवर्सिटी में जुटे. एलिजे की एक प्रवक्ता ने बैठक से पहले मीडिया को बताया था कि ये समारोह इस बात को रेखांकित करेगा कि फ्रांस-जर्मन संबंध कितने जीवंत हैं और हम यूरोप में संयुक्त रूप से आगे बढ़ रहे हैं. इस दौरान रक्षा, औद्योगिक नीति, ऊर्जा, यूरोपीय संघ में सुधार को लेकर चर्चा की गई. 


फ्रांस और जर्मनी के संबंध कैसे सुधरे?


एलिजे संधि ने फ्रांस और जर्मनी की सदियों पुरानी दुश्मनी पर मरहम का काम किया. आज करीब 60 साल बाद दोनों देशों के बीच संबंध काफी बेहतर हो गए हैं. दोनों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों को यूरोप के विकास की धुरी समझा जाता है. हालांकि दोनों के बीच संबंधों में सुधार की प्रक्रिया काफी मुश्किल रही क्योंकि दोनों के बीच दुश्मनी के जख्म काफी गहरे थे.


जर्मनी और फ्रांस में कभी थी कट्टर दुश्मनी


आज जिस तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच बिगड़े संबंधों की बात होती है, ठीक उसी तरह कभी जर्मनी और फ्रांस के बीच कट्टर दुश्मनी की चर्चा होती थी. जर्मनी और फ्रांस के बीच का तनाव 17वीं सदी में लुडविष 16वें के रियूनियन वॉर और जर्मनी में उत्तराधिकार के झगड़े में हस्तक्षेप से लेकर 1870-71 में जर्मन एकीकरण से पहले के युद्ध और उसके बाद पहले और दूसरे वर्ल्ड वॉर तक चला. नेपोलियन ने जर्मनी पर विजय हासिल की तो जर्मन राष्ट्रवादियों ने नेपोलियन के विरोध में आजादी के लिए लड़ाई की.


एलिजे संधि से दोस्ती की शुरूआत


फ्रांस और जर्मनी दोनों ने कई वर्षों तक एक दूसरे को रौंदने के साथ-साथ अपमानित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ा. पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय के बाद अपमानजनक वर्साय की संधि और दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान फ्रांस पर नाजी जर्मनी के कब्जा और विरोधियों के दमन ने इस अविश्वास को और बढ़ाने का काम किया. 1950 के दशक में यूरोपीय कम्युनिटी के गठन के साथ दोनों के बीच दुश्मनी के खात्मे की शुरूआत हुई. 1963 में एलिजे संधि के साथ दोनों के बीच दोस्ती के एक नए अध्याय की शुरूआत हुई.


फ्रांस और जर्मनी के बीच गहरे हुए संबंध


1963 में एलिजे संधि के साथ दोनों के संबंध सुधरने लगे. संबंधों में सुधार के पीछे फ्रांस और जर्मनी के तत्कालीन नेताओं की बड़ी भूमिका रही. फ्रांस की सरकार जर्मनी से दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहती थी ताकि ब्रिटेन और अमेरिका उनके देश के खिलाफ मोर्चा न बना सके. जर्मनी के तत्कालीन चांसलर कोनराड आडेनावर भी यूरोप में जर्मनी के खिलाफ बने संदेह को दूर करने के लिए प्रयासरत थे.


फ्रांस और जर्मनी की मित्रता को पुख्ता बनाने वाली एलिजे संधि में ये तय किया गया कि दोनों देशों के नेता आपसी मेलमिलाप बढ़ाएंगे और दोनों देशों के विकास के लिए बेहतर तरीके से काम करेंगे. आज दोनों के बीच दोस्ती इतनी गहरा गई है कि दोनों विकास के पथ पर कई विचारों के साथ आगे बढ़ रहे हैं.


क्या भारत-पाकिस्तान के संबंध सुधरेंगे?


पाकिस्तान और भारत के संबंध आज काफी बिगड़े हुए हैं. हालांकि भारत की तरफ से कभी उकसावे की कोई कार्रवाई नहीं की गई. भारत अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाने के लिए प्रयास करता रहा है. जबकि पाकिस्तान कश्मीर राग के साथ-साथ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देकर भारत को नाराज करता रहा है. हाल के दिनों में पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है लेकिन भारत ने आतंकवाद खत्म करने समेत कुछ और शर्तों को पूरा करने पर ही इस दिशा में आगे बढ़ने की बात कही है. 


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