Canada Indian Students: कनाडा में भारतीय छात्रों को मिली बड़ी राहत, सरकार ने वापस भारत भेजने के फैसले पर लगाई रोक
Canada: कनाडा सरकार ने 700 भारतीय छात्रों के डिपोर्ट वाले फैसले पर रोक लगा दी है. इससे पहले कैनेडियन बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी ने 700 छात्रों में शामिल लवप्रीत सिंह को देश छोड़ने का आदेश दिया था.
Canada Indian Students: कनाडा में भारतीय छात्रों को देश से बाहर निकाले जाने वाले फैसले के बाद 700 स्टूडेंट्स ने मिलकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. इसके बाद कनाडा की सरकार ने भारतीय छात्रों को राहत दी है. कनाडा सरकार ने 700 छात्रों में से एक लवप्रीत सिंह के खिलाफ शुरू की गई डिपोर्ट की कार्यवाही को रोक दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कैनेडियन बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA) ने लवप्रीत सिंह को 13 जून तक देश छोड़ने का आदेश दिया था क्योंकि अधिकारियों ने पाया था कि जिस ऑफर लेटर के आधार पर वह छह साल पहले कनाडा में स्टडी परमिट पर आया था, वह फर्जी था. इससे विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था. इससे देश में लगभग 700 भारतीय छात्रों को फर्जी कॉलेज एंट्री लेटर के आधार पर देश से बाहर निकाले जाने का आदेश दिया गया था.
हमारा ध्यान दोषियों की पहचान करना- जस्टिन ट्रूडो
लवप्रीत सिंह उन 700 छात्रों में शामिल हैं, जिन्हें फर्जी दस्तावेजों को लेकर कनाडा के अधिकारियों ने डिपोर्ट का नोटिस दिया था. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गुरुवार (8 जून) को आश्वासन दिया था कि उनकी सरकार मामलों को समझने के बाद उचित कदम उठाएगी.
उन्होंने संसद में बहस के दौरान कहा था कि हम धोखाधड़ी वाले कॉलेज स्वीकृति लेटर पर डिपोर्ट के आदेशों का सामना करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के मामलों से गहराई से अवगत हैं. हमारा ध्यान दोषियों की पहचान करने पर है, न कि पीड़ितों को दंडित करने पर है.
आम आदमी पार्टी के सांसद ने कही ये बात
भारत के आम आदमी पार्टी के सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने शुक्रवार (9 जून) को कहा कि कनाडा सरकार ने 700 भारतीय छात्रों के डिपोर्ट वाले फैसले पर रोक लगा दी है. साहनी विश्व पंजाबी संगठन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि कनाडा सरकार ने उनके अनुरोध के बाद और भारतीय उच्चायोग के सहयोग से फैसला लिया.
उन्होंने कहा, ''हमने उन्हें लिखा है और समझाया है कि इन छात्रों ने कोई जालसाजी या धोखाधड़ी नहीं की है. वे धोखाधड़ी के शिकार हैं क्योंकि कुछ अनधिकृत एजेंटों ने नकली प्रवेश पत्र और भुगतान की रसीद जारी की हैं. वीजा भी बिना किसी जांच के लागू किए गए थे. फिर जब बच्चे वहां पहुंचे तो इमिग्रेशन विभाग ने भी उन्हें अंदर जाने की इजाजत दे दी.