जस्टिन ट्रूडो ने दिया इस्तीफा तो डोलने लगेगी कनाडा की नैय्या! जानें कौन बनेगा खेवनहार
जस्टिन ट्रूडो साल 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री के पद पर बने हुए हैं. उनके लिए हालात तब खराब होने शुरू हुए जब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही थी.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो एक बार फिर संकट से घिर गए हैं. विदेशों मोर्चों पर लगातार एक के बाद एक आफत से जूझने के बाद कनाडा की आंतरिक राजनीति ही ट्रूडो के गले की फांस बन गई है. इस बीच कनाडाई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया है कि कनाडा के पीएम सोमवार (6 जनवरी 2025) को इस्तीफा का ऐलान कर सकते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने द ग्लोब एंड मेल के हवाले से बताया कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सोमवार को लिबरल पार्टी के नेता के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं. तीन अज्ञात सोर्स से मिली जानकारी के आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रूडो बुधवार (8 जनवरी 2025) को होने वाली एक अहम नेशनल कॉकस मीटिंग से पहले पद छोड़ने की अपनी योजना का खुलासा कर सकते हैं. हालांकि, घोषणा के सही वक्त को लेकर अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. इसके साथ ही यह भी स्पष्ट नहीं है कि ट्रूडो तत्काल इस्तीफा देंगे या नया नेता चुने जाने तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे. लेकिन इस खबर के साथ कुछ सवाल भी हैं कि आखिर ट्रूडो नहीं तो कौन?
कौन ले सकता है जस्टिन ट्रूडो की जगह?
द ग्लोब में पहले की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीएम के सलाहकार इस बात पर सोच-विचार कर रहे हैं कि लिबरल पार्टी ट्रूडो के बाद कनाडा का प्रधानमंत्री किसे बनाया जाए और क्या प्रक्रिया अपनाई जाए. एक बार जब ट्रूडो अपने इस्तीफे का ऐलान कर देते हैं तो लिबरल पार्टी के पास दो विकल्प होंगे. अव्वल तो वह आम सहमति से एक अंतरिम नेता को चुन लें जो देश की कमान संभाल ले. दूसरा विकल्प होगा कि देश के नेतृत्व के लिए पार्टी के भीतर चुनाव कराए जाएं.
द ग्लोब की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रूडो ने कथित तौर पर वित्त मंत्री डोमिनिक लेब्लांक के साथ चर्चा की है कि क्या वह अंतरिम नेता और प्रधानमंत्री की भूमिका निभाने के इच्छुक हैं. हालांकि, अगर लेब्लांक चुनाव में उतरते हैं तो यह मुमकिन नहीं हो सकता कि वह अंतरिम प्रधानमंत्री भी बने रहें.
कनाडाई मीडिया कुछ और नामों के लेकर दावा कर रही है कि अगर ट्रूडो इस्तीफा देते हैं तो ये चेहरे प्रधानमंत्री की कुर्सी के दावेदार हो सकते हैं. इसमें सबसे पहला नाम मार्क कार्नी का है. वह बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व गवर्नर हैं. कनाडाई मीडिया की खबरों के अनुसार वह लिबरल पार्टी के नेता पद के लिए चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं. इसके अलावा एक और नाम है कि जिसकी खूब चर्चा है, वह हैं क्रिस्टिया फ्रीलैंड.
क्रिस्टिया तब दुनिया भर की नजर में आई थी जब 16 दिसंबर 2024 को वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इस इस्तीफे के बाद से जस्टिन ट्रूडो पर आफत की बाढ़ सी आ गई. क्रिस्टिया को भी प्रधानमंत्री पद के लिए एक संभावित दावेदार माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि वह कुछ वक्त से सांसदों को अपने पक्ष में लाने की कवायद में जुटीं हैं. इसके अलावा मेलानी जोली भी प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं. वह साल 2021 से कनाडा की शीर्ष राजनयिक हैं.
जस्टिन ट्रूडो के लिए कहां से बिगड़ गए हालात?
जस्टिन ट्रूडो साल 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री के पद पर बने हुए हैं. साल 2023 में कनाडा ने भारत के खिलाफ विदेशी मोर्चे पर कूटनीतिक जंग छेड़ दी. इस दौरान कनाडा ने भारत पर आरोप लगाया कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ है. इसके बाद भारत के साथ कनाडा के रिश्ते ठंडे बस्ते में चले गए.
भारत से कूटनीतिक लड़ाई जरिए जस्टिन ट्रूडो घरेलू मोर्चे की चुनौतियों को छिपाना चाह रहे थे लेकिन उनकी पोल विपक्ष के नेताओं ने खोल दी. विपक्षी नेता ने ट्रूडो से कहा था कि अगर भारत के खिलाफ कोई आरोप हैं तो वह सीधे तौर पर सबूत पेश करें, वरना घरेलू नाकामियों को छिपाने के लिए ऐसा 'ढोंग' न रचें. इसके बाद जस्टिस ट्रूडो की मुश्किलें तब बढ़ गई जब अमेरिकी चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अगर दोनों देशों के बीच साझे बॉर्डर को सुरक्षित करने को लेकर कोई प्रगति नहीं हुई तो वो दो पड़ोसी देशों कनाडा और मेक्सिको के सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ा देंगे.
ट्रंप के इस ऐलान के बाद जस्टिन ट्रूडो सरकार की तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी थी और कहा था कि अमेरिका और कनाडा के बीच व्यापार बड़े पैमाने पर होता है और अगर अमेरिका कनाडा पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा देगा तो इससे देश की अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाएगी. जस्टिन ट्रूडो को लेकर क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने कहा था कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो देश की राजकोषीय हालत सुधारने की बजाय ऐसी "महंगी पड़ने वाली राजनीति करने" कर रहे हैं, जिसे देश झेल नहीं सकता.
जगमीत सिंह ने अधर में छोड़ा ट्रूडो का साथ
जस्टिन ट्रूडो की सरकार अल्पमत में है, उनकी सरकार को न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) का समर्थन मिला हुआ है. पिछले साल सितंबर और दिसंबर में एनडीपी के नेता जगमीत सिंह ने कहा था कि वह कनाडाई पीएम को लेकर अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे. जगमीत सिंह की पार्टी साझे राजनीतिक एजेंडे के बदले ट्रूडो की अल्पमत सरकार को समर्थन देती आई है. लेकिन पिछले साल ट्रूडो और एनडीपी के बीच की राजनीतिक रिश्तों की खाई तब और गहरी हो गई जब कनाडा सरकार ने देश के दो बड़े रेलवे के काम बंद करने पर कैबिनेट ने सख्ती बरती थी. इस फैसले के साथ ही एनडीपी नाराज हो गई और ट्रूडो के लिए हालात खराब होते चले गए.