पार्टी के भीतर से इस्तीफे का दबाव, चुनाव में हार की आशंका, भारत के बहाने सत्ता पर बने रहने की फिराक में ट्रूडो
Justin Trudeau: हाल के उपचुनावों में हार के बाद जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ लोगों में असंतोष दिख रहा है. लिबरल पार्टी के सांसद सीक्रेट मीटिंग कर पीएम को पद से हटाने के मुहिम में जुट गए हैं.
Justin Trudeau In Trouble: इस वक्त भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास आ गई है. इसके लिए कनाडा जिम्मेदार है, जिसने भारतीय उच्चायुक्तों पर आरोप लगाया है कि वो खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे जिम्मेदार है. कनाडा के द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद भारत ने अपने उच्चायुक्तों को वापस बुलाने का आदेश दे दिया. इसके अलावा 6 कनाडाई राजनयिकों को भी 19 अक्टूबर तक भारत छोड़ने का आदेश दे दिया. हालांकि, इसी बीच एक ऐसी खबर सामने आई है, जिससे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ने वाली है. सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के सांसदों का एक ग्रुप जस्टिन ट्रूडो पर पद छोड़ने का प्रेशर बना रहा है.
जानकारी के मुताबिक टोरंटो और मॉन्ट्रियल में हाल के उपचुनावों में हार के बाद जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ लोगों में असंतोष दिख रहा है, जिसके बाद लिबरल पार्टी के सांसदों ने सीक्रेट मीटिंग कर पीएम को पद से हटाने के मुहिम में जुट गए हैं. सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक टोरंटो सेंट में हार के बाद से ट्रूडो के खिलाफ कम से कम 20 नेताओं ने नेता बदलने के लिए एक दस्तावेज पर साइन किया है.
सांसदों का बयान
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले एक सांसद ने सीबीसी को बताया कि यह पूरी योजना बीमा पॉलिसी की तरह है ताकि अगर ट्रूडो पर दबाव बढ़ता है तो यह पार्टी के भीतर सही समय पर सही फैसला लेने में मदद करेगा.
ट्रेड मंत्री मैरी एनजी का पीएम को समर्थन
ट्रेड मंत्री मैरी एनजी, जो हाल ही में ट्रूडो के साथ लाओस में एक शिखर सम्मेलन में थीं उन्होंने पीएम को हटाने वाले योजना के बारे में पढ़ने के बाद निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री पर पूरा भरोसा है और वे ट्रूडो का समर्थन करती हैं.
पार्टी के साथ किया गया संसदीय समझौते का टूटना
सितंबर में जस्टिन ट्रूडो की सत्ता में बने रहने के लिए कनाडा की एक अन्य पार्टी के साथ किया गया संसदीय समझौता भी टूट गया. इस समझौते के टूटने से उनकी सरकार की स्थिति और कमजोर हो गई है, और अब यह देखना बाकी है कि ट्रूडो पार्टी के भीतर बढ़ते इस असंतोष को कैसे संभालेंगे.
ट्रूडो का सिख खालिस्तानी समर्थकों के प्रति प्रेम
कनाडा की ट्रूडो सरकार अपने देश में रहने वाले सिखों को रिझाने के लिए भारत के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगा रही है, क्योंकि वहां सिखों का एक हिस्सा ट्रूडो की पक्ष में वोट करता है. यही वजह है कि जस्टिन ट्रूडो जब पहली बार साल 2015 में सत्ता में आए थे तो उन्होंने अपनी कैबिनेट में 4 सिख सांसदों को मंत्री बनाया था. उस वक्त 17 सिख सांसद ने जीत हासिल की थी, जिनमें से 16 ट्रूडो की लिबरल पार्टी से थे.
कनाडा में सिखों की संख्या
साल अक्टूबर में कनाडा में संसदीय चुनाव होने हैं. हालांकि, ट्रूडो लिबरल पार्टी लगातार कमजोर होते दिखाई दे रही है. उन्हें जीत के लिए 338 में से 169 सीटों की जरूरत होगी, जो फिलहाल सिर्फ 154 ही है. इसको देखते हुए उन्हें पता है कि उनके लिए सिख वोट बैंक कितना महत्वपूर्ण है. कनाडा में हुए 2021 की जनगणना के मुताबिक सिखों की जनसंख्या 7.70 लाख से ज्यादा है, जो भारत के बाद सबसे ज्यादा है. कुल आबादी में सिख 2.1 फीसदी है. यही वजह है कि वो सिखों को खुश करने की कोशिश में लगे रहते हैं.
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