Anthony Rota Resigned: कनाडा की संसद में नाजी सैनिक की तारीफ पर स्पीकर ने दिया इस्तीफा
Nazi In Parliament Row: शुक्रवार (22 सितंबर) को कनाडा की संसद में नाजी सैनिक को स्पीकर समेत सांसदों ने खड़े होकर सम्मान दिया था और उनकी तारीफ की थी. अब स्पीकर ने इस्तीफा दे दिया है.
Canada Speaker Resigns: कनाडा की संसद में एक नाजी सैनिक को आमंत्रित कर सम्मानित करने और उसकी तारीफ किए जाने के बाद स्पीकर एंथनी रोटा ने इस्तीफा दे दिया है. कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर एंथनी रोटा ने पहले पद छोड़ने के आह्वान का विरोध किया था लेकिन बाद में मंगलवार (26 सितंबर) को ओटावा में पार्टी नेताओं से मुलाकात के बाद इस्तीफा दे दिया.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, एंथनी रोटा ने संसद में कहा, "मुझे आपके अध्यक्ष पद से हट जाना चाहिए... मैं अपना गहरा खेद दोहराता हूं." बता दें कि हाल में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कनाडा की यात्रा की थी. उनकी यात्रा के दौरान शुक्रवार (22 सितंबर) को कनाडा की संसद में 98 साल के नाजी सैनिक यारोस्लाव हुंका आमंत्रित किया गया था. संसद में स्पीकर रोटा ने यारोस्लाव हुंका को 'हीरो' बताया था. हुंका की खूब तारीफ की गई थी. जिसके बाद सांसदों ने खड़े होकर हुंका को सम्मान दिया था.
यारोस्लाव हुंका को संसद में बुलाने और सम्मानित करने पर विपक्षी नेताओं और यहूदी समूहों ने जस्टिन ट्रूडो सरकार की निंदा की थी. इस मुद्दे पर विवाद गहरा गया था. बता दें कि यारोस्लाव हुंका दूसरे विश्व युद्ध में हिटलर की नाजी सेना की ओर से लड़े थे. हुंका नाजी एसएस के सैनिक थे. नाजी एसएस ने हिटलर के इशारे पर यूरोप में लाखों यहूदियों का नरसंहार किया था.
हुंका के नाजी संबंधों के बारे में पता नहीं था- एंथनी रोटा
रोटा ने कहा है कि उन्हें हुंका के नाजी संबंधों के बारे में पता नहीं था और उन्होंने उन्हें इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित करके गलती की. वहीं, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को कहा कि यह बेहद परेशान करने वाला है कि ऐसा हुआ. उन्होंने मीडिया से कहा कि यह कुछ ऐसा है जो कनाडा की संसद और सभी कनाडाई लोगों के लिए बेहद शर्मनाक है.
मेलानी जोली बोलीं, 'नहीं लगता कि इसका कोई विकल्प है'
स्पीकर की ओर से इस्तीफे की घोषणा से कुछ घंटे पहले विदेश मंत्री मेलानी जोली ने हुंका वाली गलती को पूरी तरह से अस्वीकार्य कहा और कहा, ''मुझे लगता है कि स्पीकर को सदन के सदस्यों की बात सुननी चाहिए और पद छोड़ देना चाहिए.'' उन्होंने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि इसका कोई विकल्प है.''
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