Chabahar Port Deal : भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट डील को लेकर अब अमेरिका के राजदूत ने चुप्पी तोड़ी है. अमेरिकी ने कहा है कि ईरान के साथ बिजनेस करने वाले देशों पर प्रतिबंध लग सकता है. उन्‍होंने कहा कि भारत को चाबहार समझौते पर कोई छूट नहीं दी गई है. अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि बिजनेस करने वालों को यह जानना चाहिए कि ईरान के साथ रिश्‍ते बनाने में खतरा है, क्‍योंकि वह आतंक का निर्यात करता है.गार्सेटी ने भारत को ईरान को लेकर सतर्क रहने की नसीहत दी है. गार्सेटी ने कहा कि ईरान आतंक का निर्यात करता है और इसे उसके साथ बिजनेस करने वालों को जानना चाहिए.


बता दें कि इससे एक दिन पहले ही खबर आई थी कि ईरान के चाबहार पोर्ट को संचालित करने के लिए भारत को 10 साल तक का अधिकार मिल गया है. इसके लिए दोनों देशों ने सोमवार को डील पर हस्ताक्षर दिए थे. अनुबंध के कुछ घंटे बाद ही अमेरिका ने भारत को प्रतिबंध की धमकी दी थी. अब अमेरिकी राजदूत की तरफ से भी ऐसा ही बयान आया है. सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा था कि कोई भी जो ईरान के साथ व्यापार सौदों को अंजाम दे रहा है, उन्हें उन संभावित प्रतिबंधों के खतरों के बारे में पता होना चाहिए, जिसके वे करीब जा रहे हैं.


अमेरिकी विदेश मंत्रालय से स्पष्टीकरण का इंतजार
हालांकि, उन्होंने सफाई दी कि अमेरिकी दूतावास अभी अमेरिकी विदेश मंत्रालय से और ज्‍यादा स्‍पष्‍टीकरण का इंतजार कर रहा है. हम जानते हैं कि ईरान आतंकवाद के लिए एक ताकत है. ईरान एक ऐसी ताकत है, जो कई गलत चीजों का निर्यात करता है. हम आमतौर पर प्रतिबंध लगाते हैं, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में छूट दी जाती है.


चाबहार बंदरगाह मिलने से भारत को क्या होगा फायदा
चाबहार बंदरगाह का लाभ उठाकर भारत पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान और उससे आगे मध्य एशिया तक पहुंचना चाहता है. चाबहार बंदरगाह भारत के लिए बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इससे भारत पाकिस्तान को बाईपास करने में भी सक्षम होगा. अभी तक भारत को अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान की जरूरत पड़ती थी. इस रणनीतिक बंदरगाह को पाकिस्तान में चीन की मदद से विकसित ग्वादर बंदरगाह के विकल्प के रूप में भी देखा जा रहा है. चाबहार और ग्वादर के बीच समुद्र के रास्ते में सिर्फ 100 किलोमीटर की दूरी है. इसे आगे चलकर अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कॉरिडोर से जोड़ने की योजना है, जिससे ईरान के माध्यम से रूस के साथ भारत की कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी. 7200 किलोमीटर लंबा ये कॉरिडोर भारत को ईरान, अजरबैजान के रास्ते होते हुए रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से जोड़ेगा.