भारतीय वायु सेना ने देश भर से सेना के 68,000 से ज्यादा जवानों, लगभग 90 टैंकों और अन्य हथियार प्रणालियों को हवाई मार्ग से पूर्वी लद्दाख पहुंचाया. भारतीय सेना ने ये कदम 2020 में हुई गलवान घाटी में हुई चीन के साथ झड़प के बाद उठाया है. इसी बीच चीनी सेना के रॉकेट फोर्स  से एक बड़ी खबर भी आई. वही रॉकेट फोर्स जो कोरियाई प्रायद्वीप, भारत, रूस और अमेरिका के खिलाफ कारर्वाई करने में अहम भूमिका निभाता आया है. 


चीन ने अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (पीएलए) के दो अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया है. उनके इस कदम के बाद से ही सवाल उठने लगे हैं. दरअसल रॉकेट फोर्स में दो शीर्ष हस्तियों पूर्व कमांडर ली युचाओ और उनके डिप्टी कमांडर लियु गुआंगबिन को एक बार में ही इनके पदों से हटा दिया गया है. 


चीनी राजनीति पर नजर रखने वाली कनाडा की कंसल्टेंसी सर्सियस ने पिछले महीने रिपोर्ट में बताया था कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (पीएलएआरएफ) के करीब 10 मौजूदा अधिकारियों पर तलवार लटक रही है. अब पूर्व कमांडर ली युचाओ और उनके डिप्टी कमांडर लियु गुआंगबिन को अचानक पद से हटाया गया जो  चीन की सेना में पिछले एक दशक में हुआ यह सबसे बड़ा बदलाव है.


हांगकांग से अंग्रेजी में छपने वाले साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट अखबार की मानें तो ली के साथ-साथ उनके मौजूदा और पूर्व डिप्टी कमांडर की जांच केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) की भ्रष्टाचार विरोधी इकाई कर रही थी. चीन के शीर्ष रक्षा निकाय के अध्यक्ष चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं.


विशेषज्ञों का कहना है कि रॉकेट फोर्स में दो शीर्ष हस्तियों को एक बार में ही बाहर करना और दूसरी सैन्य हस्तियों को ले आना एक असामान्य कदम है. इससे पहले चीन के पूर्व विदेश मंत्री, किन गैंग को अचानक और नाटकीय रूप से बिना स्पष्टीकरण के उनके कार्यालय से बाहर कर दिया गया था. उसके बाद वो सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दिए हैं.


शी जिनपिंग की सत्ता के लिए इसका क्या मतलब है?


सीएमसी ने इस बड़े बदलाव के साथ दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसमें सेना से ‘भ्रष्टाचार को रोकने और खत्म करने' का आग्रह किया गया है, ताकि सेना किसी तरह के युद्ध के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सके.


लेकिन सेना के नेतृत्व में हुए इस बदलाव को असामान्य माना जा रहा है. चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, नौसेना के पूर्व डिप्टी कमांडर वांग हाउबिन को पीएलएआरएफ का नया प्रमुख बनाया जाएगा. जबकि, दक्षिणी थिएटर कमांड के शू शिशेंग इसके नए राजनीतिक आयुक्त बनेंगे. 


हाउबिन और शू शिशेंग दो ऐसे अधिकारी मानें जा रहे हैं, जिनके पास ‘रॉकेट फोर्स में बहुत कम तजुर्बा है'. इसे एक ‘अजीब मामला' माना जा रहा है. मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस के सीनियर फेलो लाइल मॉरिस ने कहा, "यह एक राजनीतिक कदम है, जो शी के भरोसेमंद लोगों को उस रैंक पर तैनात करने के लिए उठाया गया है.”


मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पीएलए के विशेषज्ञ टेलर फ्रैवेल ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया पीएलएआरएफ के शीर्ष अधिकारियों को भी ठीक उसी तरह हटाया गया है जैसे चीन के पूर्व विदेश मंत्री चिन गांग को हटाया गया था. 


दोनों घटनाओं से यह बात साफ तौर पर जाहिर होती है कि शी के 10 साल से ज्यादा के शासन के बावजूद पार्टी में नेतृत्व की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है. उन्होंने कहा, "इससे पता चलता है कि इस तरह की घटनाएं शी के शासन की विशेषता है, किसी तरह की गड़बड़ी नहीं.”


चीन के नेता शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में बहुत बदलाव किए हैं. इन बदलावों में सबसे बड़ा बदलाव रॉकेट फोर्स रही है, जो चीन के बढ़ते परमाणु शस्त्रागार का संरक्षक है. इस बल को कई क्षेत्रों में अमेरिकी वर्चस्व का मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया. 


न्यूयॉर्क टाइम में छपी खबर की मानें तो चीनी रॉकेट फोर्स के पूर्व कमांडरों - जनरल ली युचाओ और उनके डिप्टी, जनरल लियू गुआंगबिन को हटाने के कारण स्पष्ट नहीं हैं. चीनी सेना में शुरुआत  से अपारदर्शिता रही है. सवाल ये भी है कि दोनों व्यक्ति महीनों से आधिकारिक मीडिया रिपोर्टों में दिखाई नहीं दिए हैं.


महीनों से मीडिया के सामने क्यों नहीं आए दोनों कमांडर


उनकी अनुपस्थिति ने अटकलों की झड़ी लगा दी है. अफवाह ये भी है कि दोनों में से कोई एक जासूस था. कई विश्लेषकों का कहना है कि मिसाइलों, साइलो और प्रौद्योगिकी पर बल के बड़े खर्च से जुड़ा भ्रष्टाचार दोनों के पतन का कारण बना. 


न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक वाशिंगटन में एक कंसल्टेंसी फर्म ब्लूपाथ लैब्स के विश्लेषक मैट ब्रुज़ेस ने कहा, "पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स के पास अभी बहुत पैसा जा रहा है क्योंकि उन्होंने अपने बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से अपने परमाणु साइलो का निर्माण किया है. ऐसे में उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाना बड़ी बात है. 


जनरल ली और जनरल लियू के लापता होने के अलावा बल के एक पूर्व उप कमांडर वू गुओहुआ की मौत की खबरें भी सामने आई है. एक चीनी समाचार वेबसाइट ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि वू की मृत्यु कैंसर से हुई थी, लेकिन बाद में रिपोर्ट को हटा दिया गया, जिससे उनकी मृत्यु संदिग्ध होने की अटकलें लगाई गईं.


ताइवान पर चीन की सैन्य रणनीति पर उठने लगे सवाल


शी ने 2015 में समारोह के दौरान कहा था कि रॉकेट बल हमारा मुख्य बल है. ये राष्ट्रीय रणनीतिक का अहम हिस्सा है.पीपुल्स लिबरेशन आर्मी दुनिया के सबसे बड़े और सबसे ताकतवर मिसाइल शस्त्रागार में से एक मानी जाती है. इसे एशिया में अमेरिकी बलों और ताइवान के लिए एक संभावित खतरा माना जाता है. ताइवान पर  बीजिंग अपना दावा करता है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पेंटागन के 2022 के आकलन में कहा गया है '2021 में चीन ने युद्ध क्षेत्रों के बाहर  प्रशिक्षण के लिए 135 बैलिस्टिक मिसाइलों का प्रक्षेपण किया, जो दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में ज्यादा है.


चीन ने ताइवान के आसपास जो लाइव-फायर ड्रिल की है, उसमें रॉकेट फोर्स ने अहम भूमिका निभाई है. कुछ सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की नौसेना में डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ की भूमिका निभाने वाले वांग हाउबिन के पास रणनीतिक योजना का अनुभव है और उन्हें रॉकेट फोर्स का नया कमांडर बनाया जाना एक इशारा माना जा सकता है कि शी ताइवान पर आक्रमण करने के लिए प्रयासरत हैं.


बताते चलें कि रॉकेट फोर्स चीन के परमाणु हथियारों की बढ़ती संख्या को भी नियंत्रित करता है. हालांकि चीन अपने परमाणु बलों का खुलासा नहीं करता है लेकिन लेकिन पेंटागन ने अनुमान लगाया है कि चीन के पास 400 से ज्यादा हथियार हैं, और 2030 तक 1,000 हो सकते हैं, जिससे यह संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस द्वारा तैनात वॉरहेड की संख्या के करीब आ जाएगा.


रॉकेट फोर्स क्या है?


रॉकेट फोर्स को पीएलए की एक महत्वपूर्ण शाखा माना जाता है .यह देश के रणनीतिक परमाणु और पारंपरिक मिसाइल बलों को व्यवस्थित करने, मैनिंग, प्रशिक्षण करने की जिम्मेदार लेता है.


पिछले एक दशक में चीन ने रॉकेट फोर्स में लड़ाकू मिसाइल ब्रिगेड की संख्या को दोगुना कर दिया है. अमेरिकी सेना के मल्टीमीडिया संगठन आर्मी यूनिवर्सिटी प्रेस के अनुसार रॉकेट फोर्स का मुख्य ध्यान ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर है. यह कोरियाई प्रायद्वीप, भारत, रूस और अमेरिका के खिलाफ कारर्वाई करने में अहम भूमिका निभाता है.


फेरबदल को लेकर अटकलें तेज


बीते साल अक्टूबर में अमेरिकी वायु सेना के थिंक टैंक ‘चाइना एयरोस्पेस स्टडीज इंस्टीट्यूट' ने पीएलएआरएफ पर एक व्यापक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें चीनी सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारी उजागर होने का संदेह जताया था. हालांकि, पर्यवेक्षकों का तर्क है कि शी राजनीतिक आलोचकों को हटाने और सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए किसी भी वजह का इस्तेमाल कर सकते हैं. रिपोर्ट्स ये दावा करती हैं कि मौजूदा भ्रष्टाचार की ये जांच करीब  छह साल पुराने भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर की गई है. 


वरिष्ठ चीनी पत्रकार और आलोचक गाओ यू ने मीडिया को बताया कि सत्ता संघर्ष से जुड़े मुद्दे की वजह से पीएलएआरएफ में उथल-पुथल  हो सकती है. जुलाई की शुरुआत में चीनी मीडिया में कहा गया था कि स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या की वजह से वू की मौत हुई है. हालांकि, गाओ ने ट्वीट किया कि वू के पूर्व बॉस झांग शियाओयांग ने खुलासा किया था कि उन्होंने घर पर आत्महत्या की थी.


यू का आकलन है कि नेतृत्व में रहस्यमयी तरीके से हो रहे बदलाव की वजह से एक बार फिर ‘पीएलए में सेवा देने वालों की प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता है.'