China President Xi Jinping: चीन में 16 अक्टूबर का दिन काफी अहम साबित होने वाला है. इस दिन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस (Communist Party Congress) यानी अधिवेशन है, जिसमें देश के अगले राष्ट्रपति के नाम पर मुहर लगने वाली है. चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) एक बार फिर से सत्ता में वापसी की तैयारी में हैं. बताया जा रहा है कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के आगामी कांग्रेस में शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल के लिए नेतृत्व हासिल करने की पूरी उम्मीद है. 


16 अक्टूबर को होने वाले अधिवेशन से पहले चीन के मौजूदा राष्ट्रपति फिर से वापसी के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं. भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई की जा रही है. हालांकि जानकारों का मानना है कि ऐसा करके जिनपिंग अपने विरोधियों को किनारे लगा रहे हैं.


चीन में कम्युनिस्ट पार्टी पर पकड़ मजबूत?


चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग को माओ त्से-तुंग के बाद सबसे ताकतवर और प्रभावी नेता के रूप में देखा जा रहा है. थॉर्नटन चाइना सेंटर के निदेशक चेंग ली का कहना है कि अपने पहले कार्यकाल के दौरान जिनपिंग ने बड़े स्तर पर अपने राजनीतिक सहयोगियों के तौर तरीकों के साथ देश पर राज किया. अगर उन्हें सत्ता में आने का फिर से मौका मिला तो जिनपिंग उन नेताओं की टीम के साथ देश चलाएंगे, जिन्हें खुद जिनपिंग ने सियासत का गुर सिखाकर आगे बढ़ाया.


जीवनभर शासन करने की जिनपिंग की योजना?


शी जिनपिंग ने अपने विश्वसनीय सहयोगियों को पार्टी ह्मयूमन रिसोर्स मैनेजमेंट का प्रभार सौंपा, जो प्रमुख कर्मियों की नियुक्तियों को कंट्रोल करते हैं. अटकलें लगाई जा रही हैं कि कम्युनिस्ट पार्टी की होने वाली नेशनल कांग्रेस में राष्ट्रपति जिनपिंग 'चेयरमैन' का दर्जा हासिल कर सकते हैं.


अगर ऐसा हुआ तो वो अपने पूरे जीवनकाल तक चीन पर शासन कर सकते हैं. ऐसे में राजनीतिक हिंसा होने की संभावना भी बढ़ सकती है, जो चीन को एक तरह से कमजोर कर सकता है. साल 2013 में सत्ता में आने के बाद से ही शी ने अपने प्रतिद्वंदियों को किनारे लगाने का काम शुरू कर दिया था.


सत्ता पर मजबूती के लिए अफसरों पर कार्रवाई?


न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक शी जिनपिंग के शासन काल अब तक 47 लाख से अधिक अफसरों के खिलाफ जांच की जा चुकी है जो उनकी सत्ता पर पकड़ को बनाए रखने को लेकर चुनौती बन रहे थे. जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद देश में सरकारी मीडिया की आजादी में लगातार कमी देखी गई और उनका गुनगान किया जाने लगा. 


चीन कैसे होगा कमजोर?


चीन में एक बड़ी आबादी के बीच जिनपिंग को लेकर असंतोष है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन में शी जिनपिंग के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए, जिसके बाद लाखों लोगों को जेल में बंद कर दिया गया और उन्हें अपराधी बताया गया. जानकार मानते हैं कि लोगों को जेल में डालने के पीछे जिनपिंग का विरोध करना है.


आरोप ये भी लग रहे हैं कि लोगों की आवाज दबाने के लिए जिनपिंग कोरोना लॉकडाउन को जबरदस्ती लागू कर रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है वो अपने कार्यकाल में इजाफा करके ऐसे अफसरों की संख्या बढ़ाएंगे, जो उनके फरमानों को आम लोगों पर थोपेंगे. ऐसे में लोगों में और असंतोष की भावना बढ़ेगी, जो विकराल रूप ले सकता है.


चीन के सामने कई चुनौतियां


चीन (China) पहले से ही कई अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का सामना कर रहा है. कोरोना के कारण चीन की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है. रियल सेक्टर से लेकर मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में भी गिरावट का दौर है. लोकतंत्र के समर्थन में उठी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है.


उइगर मुसलमानों पर जुल्म से दुनिया के कई देश आलोचना कर चुके हैं. यूक्रेन युद्ध में चीन ने रूस को सपोर्ट किया है, जिसके कारण अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों से रिश्ते बिगड़े हैं. कोरोना फैलाने के आरोपों से उसकी दुनियाभर में इमेज खराब हुई. जिनपिंग के फिर से सत्ता में आने पर भारत के साथ सीमा विवाद का हल निकलना भी मुश्किल ही है. 


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