बीजिंग: चीन ने गुरुवार को पहली बार इस बात को स्वीकार किया कि उसने बातचीत के लिए अफगान तालिबान के प्रमुख शांति वार्ताकार मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को बुलाया था. चीन के मुताबिक अफगानिस्तान में अपनी सामरिक भूमिका को बढ़ाने और युद्ध ग्रस्त देश में शांति बहाल करने के प्रयासों के तहत उसने यह कदम उठाया था.
पाकिस्तान सरकार ने मुल्ला बरादर को पिछले साल जेल से छोड़ा था. वह 1994 में तालिबान का गठन करने वाले शीर्ष चार कमांडरों में से एक है.माना जाता है कि वह अब तक रिहा किए गए अफगान तालिबान कैदियों में से सबसे उच्च रैंक का है.
जेल से रिहा होने के बाद मुल्ला बरादर अफगानिस्तान समाधान के लिए अमेरिकी प्रतिनिधि जालमय खलीलजाद के साथ बातचीत कर रहा है. पाकिस्तान का करीबी सहयोगी चीन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच मतभेद खत्म करने की कोशिश कर रहा है. अफगानिस्तान पाकिस्तान पर अफगान तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और अन्य आतकंवादी समूहों को पनाहगाह उपलब्ध कराने का आरोप लगाता रहा है जो युद्धग्रस्त देश में हमले करते रहते हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने मीडिया से कहा, “दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख बरादर ने चीन का दौरा किया.” उन्होंने कहा, “उसके दौरे के दौरान, चीनी अधिकारियों ने शांति एवं सामंजस्य प्रक्रिया के साथ ही आतंकवाद के खिलाफ जंग पर उससे बातचीत की.” लु ने बताया कि बरादर को अफगानिस्तान में शांति एवं सामंजस्य प्रक्रिया में चीन की सकारात्मक भूमिका के बारे में बताया गया.
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