वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि भारत और उस क्षेत्र के अन्य देशों के खिलाफ चीन का आक्रामक रवैया वहां की सत्ताधारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का ‘‘असली चेहरा’’ दिखाता है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केली मैकनेनी ने कहा कि भारत और चीन के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में हुई हिंसक झड़प को लेकर अमेरिका स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है और उसके शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता है.


गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच पिछले सात सप्ताह से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी है. दोनों के बीच स्थिति 15 जून को इतनी बिगड़ गई थी कि गलवान घाटी में दोनों ओर के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी. जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. झड़प में चीन के सैनिक भी मारे गए हालांकि उसने सैनिकों के हताहत होने के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी है.


चीन के किए गए हिंसक झड़प उसके क्मयुनिस्ट पार्टी का असली चेहरा दिखता है


मैकनेनी ने कहा, ‘‘भारत और चीन के संबंध में, हम स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं. राष्ट्रपति भी ऐसा ही कर रहे हैं और उनका कहना है कि चीन दुनिया के अन्य हिस्सों में जिस तरह की आक्रामकता दिखा रहा है, वैसा ही आक्रामक रवैया उसने भारत-चीन सीमा पर अपनाया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ये हरकतें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के असली चेहरे को दर्शाती हैं’’


मैकनेनी ने कहा, ‘‘भारत और चीन दोनों ने गतिरोध को खत्म करने की इच्छा व्यक्त की है और अमेरिका वर्तमान स्थिति के एक शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता है.’’ इससे पहले अमेरिका के कई सांसद भी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के रवैये को लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं.


सीमा संकट व्यापक संबंधों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है


कोरोना वायरस और अमेरिका-चीन संबंधों पर सुनवाई के दौरान ‘सदन की खुफिया प्रवर समिति’ के अध्यक्ष और सांसद एडम शिफ ने कहा, ‘‘पिछले महीने चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हिंसक झड़प में लिप्त रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप भारत के कई जवान शहीद हो गए. साथ ही चीन के सैनिक भी हताहत हुए हैं हालांकि उसने उनकी संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है.’’


ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट की वरिष्ठ सदस्य तन्वी मदान ने समिति के सदस्यों को बताया कि मई की शुरुआत से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एलएसी पर "यथास्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने" की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने संकेत दिया है कि यदि यथास्थिति को तेजी से बहाल नहीं किया गया, तो सीमा संकट का व्यापक संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.


भारत को अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी बनाने रखने की जरूरत है.


उन्होंने कहा कि सीमा संकट और महामारी की वजह से भारत को अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को बनाए रखने और यहां तक कि उसे और मजबूत करने की जरुरत है. साथ ही इसलिए भी जरूरी है कि उस क्षेत्र में और विश्व स्तर पर, एक नियम-आधारित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका को एक अधिक स्थायी और मजबूत भूमिका निभानी है. मदान ने सांसदों को बताया कि सीमा संकट गंभीर बना हुआ है और उसकी सावधानीपूर्वक निगरानी करने की आवश्यकता है.


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