China and Russia Arctic Joint Patrol: चीन के तटरक्षक बल ने पहली बार आर्कटिक महासागर में प्रवेश करने का दावा किया है. चीनी तटरक्षक रूस के साथ एक संयुक्त गश्त का हिस्सा है. यह घटना दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने का संकेत है, खासकर उस क्षेत्र में जहां बीजिंग अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहता है.


इससे पहले, अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने बताया था कि उसने बेरिंग सागर में चार रूसी सीमा रक्षक और चीनी तटरक्षक जहाजों को देखा है.


अमेरिका को चीन का रिएलिटी चेक


चीन ने कहा कि यह संयुक्त गश्त दोनों देशों की तटरक्षक सेना की समुद्री नेविगेशन की क्षमता को बढ़ाती है और अनजान समंदर में मिशनों को पूरा करने की क्षमता का परीक्षण करती है. हालांकि, गश्त का सटीक स्थान नहीं बताया गया. अधिकारियों का कहना है कि इस गश्त का मकसद अमेरिका को यह पैगाम देना है कि चीनी तटरक्षक भी उन क्षेत्रों में संचालन कर सकता है जिन्हें अमेरिका ने अपनी परंपरागत सीमाएं माना है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह गतिविधि आर्कटिक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने की दिशा में एक और कदम है.


आर्कटिक महासागर पर ड्रैगन की आंख और भविष्य की संभावनाएं


चीन की तटरक्षक बल ने सालों से अपने समुद्री दावों को लागू करने के लिए कड़ी मेहनत की है. विशेष रूप से, चीन का "पोलर सिल्क रोड" का दृष्टिकोण उत्तरी समुद्री मार्ग के विकास को ध्यान में रखता है, जो एशिया को यूरोप से जोड़ेगा. विश्लेषकों का मानना है कि रूस और चीन का बढ़ता सहयोग आर्कटिक क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है. अमेरिका ने हाल ही में इस क्षेत्र में बढ़ते सहयोग को लेकर चिंता व्यक्त की है, जिसमें दो देशों के बीच आर्थिक और सामरिक संबंधों को मजबूती प्रदान करना शामिल है.


चीन और रूस के बीच इस सहयोग के नतीजे के तौर पर आर्कटिक महासागर में समुद्री मार्गों का विकास और व्यावसायिक संभावनाएं बढ़ सकती हैं. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह गश्त इस दिशा में एक अहम कदम है, जिससे चीन की आर्कटिक में उपस्थिति और मजबूत होगी.


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