China Taiwan Conflict: हवाई हदें पार कर रहा ड्रैगन! नए एयर स्पेस का किया ऐलान, जानें कहां लड़ाकू विमान उड़ाने की तैयारी में है चीन
China New Air Space Near Taiwan: चीन ने ताइवान के पास नए हवाई मार्ग शुरू करने की घोषणा की है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. ताइवान ने इन मार्गों को प्रतिबंधित हवाई क्षेत्र घोषित किया है.
China Taiwan Conflict News: ताइवान के साथ जारी तनाव के बीच चीन ने एक और कदम ऐसा उठाया है, जिससे दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ गया है. ताइवान समाचार की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के सिविल एविएशन प्रशासन ने हाल ही में जियामेन और फूजौ शहरों के लिए नए हवाई मार्ग शुरू करने की घोषणा की है.
ये ताइवान-नियंत्रित द्वीपों किनमेन और मात्सु के करीब स्थित हैं. ताइवान ने स्लैक को प्रतिबंधित एयर स्पेस घोषित किया है. इन्हीं क्षेत्रों के करीब चीन के नए एयर स्पेस की वजह से विवाद बढ़ गया है.
क्या है मामला?
शुक्रवार, (19 अप्रैल) को इस बारे में खुलासा हुआ है. ड्रैगन का नया एयर स्पेस M503 फ्लाइट रूट से जुड़ा है जो ताइवान की खाड़ी के संवेदनशील मध्य रेखा को पार करता है. ये रेखा दोनों देशों के बीच की अनौपचारिक सीमा मानी जाती है और चीन तथा ताइवान दोनों ही यहां फाइटर प्लेन की उड़ान से परहेज करते रहे हैं.
ताइवान समाचार के अनुसार, एक ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस शोधकर्ता डेमियन साइमन ने 1 फरवरी को एक नक्शा अपलोड किया, जिसमें इस नए रूट को हाईलाइट किया गया है. साइमन ने इस बात पर जोर दिया कि परिवर्तित मार्ग वायु सेना के सैन्य गश्ती क्षेत्रों के करीब आते हैं. ये पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के फाइटर प्लेंस के लिए रणनीतिक बफर जोन के रूप में काम कर सकते हैं. इससे ताइवान को नुकसान पहुंचाने में आसानी होगी.
चीन-ताइवान के बीच क्या है मूल विवाद ?
दरअसल ताइवान पहले चीन का हिस्सा था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद ताइवान में संप्रभु सरकार चल रही है और लगातार चुनाव होते हैं. दूसरी ओर चीन वन चाइना पॉलिसी के रास्ते पर चल रहा है. इसी के तहत वह ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है. दूसरी तरफ ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है. 73 साल से दोनों देशों के बीच इसी बात को लेकर टकराव चल रहा है.
दोनों देशों के बीच सिर्फ 100 मील की दूरी है. ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से काफी करीब है. ऐसे में टकराव की खबरें लगातार सामने आती रहती हैं. ताइवान की समुद्री सीमा में भी चीन लगातार घुसपैठ करता रहता है. चीन नहीं चाहता है कि ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह का विदेशी दखल हो. इसके साथ ही चीन ताइवान को दोबारा अपने कब्जे में लेने की कोशिश में लगा रहता है.