बीजिंग: चीन ने सोमवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की (सीपीईसी या सीपेक) परियोजनाओं में उसके निवेश का बिना भेदभाव और पेशेवर तरीके से मूल्यांकन करना चाहिए. साथ ही पाकिस्तान को कोई वित्तीय पैकेज देते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उससे दोनों देशों के बीच संबंधों पर असर मत पड़े.
चीन का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि नकदी संकट (विदेशी पूंजी भंडार) से जूझ रहे पाकिस्तान ने सहायता पैकेज के लिये आईएमएफ से संपर्क किया है. पाकिस्तान इस परियोजना में चीन से लिए जा रहे कर्ज का ब्योरा देने पर भी राजी है. संभवत: इस बात से चीन चिंतित है.
पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने रविवार को मीडिया से कहा कि हम चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) से संबंधित कर्ज का ब्योरा आईएमएफ को देने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से मुद्राकोष से राहत पैकेज की मांग की है.
इंडोनेशिया से लौटने के बाद उमर ने कहा कि मित्र देशों से विचार-विमर्श के बाद मुद्राकोष से संपर्क करने का निर्णय किया गया. उन्होंने इंडोनेशिया में ही आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लेगार्ड से पाकिस्तान को सहायता पैकेज का आग्रह किया था.
पाकिस्तान के आईएमएफ से संपर्क करने के बारे में अपनी प्रतिक्रिया में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने यहां कहा, ‘‘चीन चाहता है कि आईएमएफ पाकिस्तान को दिये गये कर्ज का आकलन तटस्थ और पेशेवर तरीके से करे और जो भी पहल की जाए, उससे दोनों मित्र देशों के संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए.
प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘चीन, आईएमएफ का सदस्य होने के नाते संगठन के पाकिस्तान के साथ सहयोग का समर्थन करता है. हम चाहते हैं कि वो पाकिस्तान में जमीनी स्थिति का तटस्थ और पेशेवर तरीके से आकलन करे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम मौजूदा स्थिति से निपटने को लेकर पाकिस्तान की मदद के लिये आईएमएफ का समर्थन करते हैं. उनके उपायों से चीन और पाकिस्तान के बीच सामान्य द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा.’’ उमर के अनुसार कार्यक्रम पर चर्चा के लिये आईएमएफ का दल सात नवंबर को पाकिस्तान आएगा.
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