Artificial Sun: चीन इन दिनों धरती पर ही 'नकली सूरज' बना रहा है. इस नकली सूरज के जरिए पैदा होने वाली एनर्जी का इस्तेमाल देश की ऊर्जा जरूरतों को  पूरा करने के लिए किया जाएगा. दरअसल, चीन की सरकारी न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन का कहना है कि उसने न्यूक्लियर फ्यूजन के जरिए चलने वाले 'आर्टिफिशियल सन' यानी नकली सूरज बनाने की अपनी खोज में एक मील के पत्थर को पार कर लिया है. 


चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन (CNNC) ने कहा कि टोकामक मशीन (नकली सूर्य बनाने में इस्तेमाल होने वाली मशीन) के नए वर्जन ने 10 लाख एम्पीयर से भी ज्यादा प्लाज्मा करंट पैदा किया. टोकामक मशीन ने ऐसा पहली बार किया. 'नकली सूरज' बनाने के प्रोसेस से बेहिसाब ऊर्जा पैदा हुई. CNNC का कहना है कि सीमित न्यूक्लियर फ्यूजन चीन की परमाणु ऊर्जा विकास रणनीति के तीन निर्माण खंडों में से एक है.


चीन क्यों बना रहा 'नकली सूरज'?


साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीन टोकामक मशीन के जरिए 'नकली सूरज' इसलिए बना रहा है, क्योंकि ये सुरक्षित, साफ और अंतहीन ऊर्जा का स्रोत बन सकता है. टोकामक के जरिए जनरेट किए जाने वाले प्लाज्मा करंट से सूरज की तरह ही ऊर्जा पैदा होती है. इससे बेहिसाब गर्मी और रोशनी निकलती है. इस एनर्जी को स्टोर कर लिया जाए, तो बड़े से बड़े देशों की ऊर्जा जरूरतों को बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए पूरा किया जा सकता है.


वहीं, ज्यादातर देशों में स्वच्छ ऊर्जा के लिए न्यूक्लियर फिजन रिएक्शन के जरिए पारंपरिक न्यूक्लियर प्लांट्स बिजली पैदा करते हैं. लेकिन इसमें बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव कचरा निकलता है, जो पर्यावरण के लिए खतरनाक होता है. दूसरी ओर, टोकामक मशीन के जरिए जब ऊर्जा पैदा की जाती है, तो उसमें रेडियोएक्टिव कचरे की मात्रा बहुत कम होती है. इससे पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने में मदद मिलती है.


दुनियाभर में चल रहा 'नकली सूरज' बनाने का काम


दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में वैज्ञानिक 'नकली सूरज' बनाने में जुटे हुए हैं. इस प्रोसेस में हाइड्रोजन एटम को 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस से ऊपर गर्म करके और उन्हें लंबे समय तक सीमित करके ऊर्जा पैदा की जाती है. हालांकि, इसमें सबसे बड़ी चुनौती पूरे प्रोसेस को कंट्रोल करने पर है, ताकि रिएक्टर में विस्फोट न हो. यही वजह है कि अभी तक इस प्रोसेस में दुनिया पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाई है. 


भारत का सूर्य तक मिशन


चीन में 'नकली सूरज' बनाने पर काम ऐसे समय पर चल रहा है. जब भारत सूर्य तक आदित्य एल-1 मिशन के तौर पर एक स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करने जा रहा है. आदित्य एल-1 मिशन के जरिए सूरज पर 24 घंटे नजर रखी जाएगी. ऐसा पहली बार होगा, जब भारत अंतरिक्ष में स्पेस ऑब्जर्वेटरी स्थापित करेगा. भारत का मकसद सूरज में होने वाली गतिविधियों के बारे में पता लगाना है. 


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