न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की. लेकिन उसकी कोशिश एक बार फिर फेल हो गई. संयुक्त राष्ट्र परिषद ने इस मुद्दे पर समय और ध्यान देने से इनकार कर दिया. परिषद ने कहा कि यह मुद्दा ऐसा नहीं है, जिसपर समय और ध्यान दिया जाना चाहिए.
भारत के शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि चीन की ओर से बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र की बैठक में कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की पाकिस्तान की कोशिश एक बार फिर नाकाम रही. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने बताया कि सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर के भारत और पाकिस्तान का एक द्विपक्षीय मामला होने की बात रेखांकित की और शिमला समझौते के महत्व पर जोर दिया.
बंद कमरे में हुई बैठक
तिरुमूर्ति ने ट्वीट में लिखा, "पाकिस्तान का एक और प्रयास विफल रहा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएसी) की बंद कमरे में की गई, अनौपचारिक बैठक बेनतीजा रही. लगभग सभी देशों ने जम्मू-कश्मीर के एक द्विपक्षीय मामला होने और इसके परिषद का समय व ध्यान देने लायक ना होने की बात को रेखांकित किया." पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने ‘एनी अदर बिजनेस’ के तहत बुधवार को जम्मू-कश्मीर मामले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई थी.
भारत सरकार के जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने के एक साल पूरा होने के दिन यह बैठक बुलाई गई. सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि अमेरिका ने यह बात उठाई और परिषद के कई सदस्यों ने इसका समर्थन करते हुए स्पष्ट किया कि कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र निकाय में चर्चा के लिए नहीं है. यह भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है.
पाक पहले भी कर चुका है नाकाम कोशिश
पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने और उसके दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटने के भारत सरकार के फैसले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की कई नाकाम कोशिश कर चुका है.
भारत ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने की घोषणा की थी.
भारत ने जम्मू कश्मीर के 2019 में किए गए पुनर्गठन को 'अवैध व अमान्य' बताने को लेकर बुधवार को चीन की आलोचना करते हुए कहा कि इस विषय पर बीजिंग का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और उसे दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. चीन, जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के विरोध में रहा है और उसने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने को लेकर नयी दिल्ली की आलोचना की है. चीन लद्दाख के कई हिस्सों पर दावा करता है.
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