UFO News: यूएफओ को लेकर दुनिया में पिछले 70 सालों से खूब चर्चा हो रही है. अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA के एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूएफओ अडवांस्ड टेक्नोलॉजी हो सकते हैं. 'अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट' (UFO) को लेकर कहा जाता है कि ये एलियंस की मौजूदगी के सबसे बड़े सबूत हैं. लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूएफओ एलियंस के नहीं, बल्कि दुश्मन देशों के विमान भी हो सकते हैं.
डेली मेल के मुताबिक, नासा के 'साइंस मिशन डायरेक्टोरेट' के लंबे समय तक एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर रहने वाले डॉ थॉमस जुर्बुचेन ने यूएफओ के पीछे चीन के रोल को लेकर बात की है. उन्होंने कहा है कि कई सारी रिपोर्ट्स को पढ़ने और चश्मदीदों से बात करने के बाद उन्हें लगता है कि यूएफओ सच में हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी सवाल ये है कि क्या चीन के जासूसी वाले गुब्बारे तो यूएफओ के पीछे नहीं हैं.
चीन के जासूसी गुब्बारों पर शक
डॉ थॉमस जुर्बुचेन का कहना है कि जासूसी गुब्बारे की पूरी घटना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. अगर हम जो देख रहे हैं, उसे ही नजरअंदाज करेंगे, तो ये हैरानी वाली बात होगी. दरअसल, चीन पर आरोप लगा कि वह गुब्बारों के जरिए अमेरिका की जासूसी कर रहा है. फरवरी में अमेरिका ने चीन के एक जासूसी गुब्बारे को मार गिराया था. हालांकि, चीन ने जासूसी के आरोपों को नकार दिया था.
वहीं, हाल ही में यूएफओ एक्सपर्ट डॉ जुर्बुचेन ने नासा की नौकरी छोड़ी है और अब वह अपने देश स्विट्जरलैंड में मौजूद ETH ज्यूरिख यूनिवर्सिटी में पढ़ाने जा रहे हैं. हालांकि, उन्होंने इससे पहले UFO को लेकर बहुत ज्यादा खोजबीन की है. डॉ जुर्बुचेन ने न्यू जर्सी में 1952 में ली गई यूएफओ की तस्वीरों का एनालिसिस किया है. इसके अलावा यूएफओ से जुड़ी ढेरों रिपोर्ट्स को खंगाला है.
यूएफओ देखने वाले लोग सच बोल रहे: डॉ जुर्बुचेन
वह कहते हैं कि मैंने न सिर्फ यूएफओ देखने वाले पायलटों से बात की है, बल्कि उन लोगों से भी चर्चा की है, जिन्होंने आसमान में उड़ने वाली अज्ञात चीजों को देखा. मैं पूरी तरह से मानता हूं कि वो लोग सच बोल रहे हैं. उनका कहना है कि चश्मदीद लोग झूठ नहीं बोल रहे हैं. वे मनगढ़ंत कहानी भी नहीं बना रहे हैं. मुझे लगता है कि उन्होंने वो चीजें बताई हैं, जिन्हें उन्होंने खुद अपनी आंखों से देखा है.
डॉ जुर्बुचेन का कहना है कि यूएफओ की मौजूदगी को साबित करना कुछ ऐसा है, जिस पर अभी हमें और काम करने की जरूरत है. अगर हम इसे अडवांस्ड टेक्नोलॉजी मानते हैं, तो ये हमारे लिए बिल्कुल भी दोस्ताना नहीं है. अगर ये टेक्नोलॉजी किसी दूसरे देश की है, तो ये ज्यादा डराने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि हमें नहीं मालूम है कि इसे किस देश ने तैयार किया है और उसका मकसद क्या है.
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