Beijing Air Quality: धूलभरी आंधी ने बिगाड़ा चीन की राजधानी का मिजाज, 'खतरनाक' स्तर पर देखा गया एयर क्वालिटी इंडेक्स
China Pollution: चीन के बीजिंग में धूलभरी आंधी के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक सेहत के लिए खराब स्तर से भी कई गुना ज्यादा खतरनाक स्थिति में देखा गया.
Beijing Dust Storm: चीन की राजधानी बीजिंग में शुक्रवार (10 मार्च) को धूलभरी आंधी आई, जिसके गुबार में गगनचुंबी इमारतें गायब होती सी दिखीं. इससे वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई. समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, वायु गुणवत्ता की निगरानी में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) को एक खतरनाक स्थिति में पाया गया. पीएम 2.5 हवा में मौजूद ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं जिनके जरिये प्रदूषण का पता चलता है. ये कण दृश्यता को कम करते हैं और जितने ज्यादा मात्रा में होंगे उतना धुंधला दिखाई देखा. ये सांस के जरिये इंसान के फेफड़ों और रक्त धमनियों में प्रवेश कर जाते हैं और सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
रिपोर्ट में IQAir वेबसाइट के हवाले से बताया गया कि बीजिंग में वायु गुणवत्ता सूचकांक 1,093 दिखा जो कि एक खतरनाक स्तर है. यह सेहत के लिए खराब माने जाने वाले स्तर से भी कई गुना ज्यादा है.
प्रदूषण में सुधार लाने के लिए उठाए गए ये कदम
रिपोर्ट में बताया गया कि बीजिंग अपनी बेहद खराब वायु गुणवत्ता के लिए जाता जाता रहा है लेकिन हाल के वर्षों में इसमें सुधार लाने के लिए अधिकारियों ने कई कदम उठाए. भारी प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को रोक दिया गया. वहीं, कोयले से चलने वाले बिजली प्लांट और बड़े उद्योग आसपास के प्रांतों में शिफ्ट किए गए.
चीन में कोयले से बनने वाली बिजली को बढ़ावा दिया जाता है जो कि प्रदूषण का एक अहम कारण है. इससे जलवायु परिर्वतन में सुधार लाने की वैश्विक कोशिशों को धक्का लगता है क्योंकि कार्बन उत्सर्जन में कटौती के प्रयास नाकाम होते हैं. हालांकि, चीन विंड और सोलर क्षेत्र में बड़ा निवेशक है लेकिन 2021 में यहां आर्थिक विकास में गिरावट दर्ज हुई. बिजली की कमी के चलते कई कारखाने बंद तक हो गए. इसलिए यहां कोयले से बनने वाली बिजली को बढ़ावा दिया गया.
धूल और रेत के तूफानों से बीजिंग रहा है परेशान
रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग में धूल और रेत के तूफान वसंत ऋतु के दौरान आते रहे हैं. लोएस पहाड़ियों और पश्चिम में पीली नदी के ऊपर से चलने वाली हवाओं को इसके पीछे का कारण माना गया. समस्या से निजात पाने के लिए पर्यावरण संबंधी कुछ मुहिमें चलाई गईं, जिसका असर हुआ है. बताया जाता है कि कोरोनाकाल में लॉकडाउन के कारण जब ज्यादातर उद्योग बंद रहे और यहां शून्य कोविड नीति के तहत अनिवार्य क्वारंटीन का पालन किया गया उस दौरान वायु गुणवत्ता में सुधार देखा गया जोकि 2000 के बाद सबसे अच्छा था.
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