India-China Relation: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने के लिए हुए समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधों की बहाली को लेकर बुधवार (28 दिसंबर 2024) को बैठक हुई. एक तरफ जहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की तो वहीं ड्रैगन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है. चीन डोकलाम के आसपास गांवों को बसाने में लगा है, जो पारंपरिक रूप से भूटान का हिस्सा रहा है.
डोकलाम के पास 22 गांवों का निर्माण किया गया
सैटेलाइट की तस्वीरों से यह खुलासा हुआ है कि चीन ने पिछले आठ वर्षों में भूटान के इस पारंपरिक क्षेत्र में कम से कम 22 गांवों और बस्तियों का निर्माण किया है. वहीं डोकलाम के आसपास के गांव बसाने का सिलसिला साल 2020 से जारी है. यहां अब तक 8 गांवों को बसाया जा चुका है. भूटान के पश्चिमी क्षेत्र में निर्माण किए गए ये गांव रणनीतिक रूप से काफी अहम हैं. ये गांव एक घाटी से सटे हुए हैं, जिस पर चीन अपना अधिकार बताता है. यहां से चीन का सैन्य चैकियां काफी नजदीक है.
चीन ने भारत की टेंशन बढ़ाई
चीन ने जिन 22 गांवों का निर्माण किया है, उसमें सबसे बड़े गांव का नाम जीवू है, जो पारंपरिक भूटानी चरागाह त्सेथांखखा पर स्थित है. चीन की इस चाल ने भारत की टेंशन बढ़ा दी है. इस क्षेत्र में चीनी स्थिति मजबूत होने से सिलीगुड़ी कॉरिडोर (जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है) की सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है. यह कॉरिडोर भारत को पूर्वोत्तर के राज्यों से जोड़ता है.
साल 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच डोकलाम में 73 दिनों तक गतिरोध चला था. भारत ने वहां सड़क और अन्य सुविधाओं के निर्माण को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया था. हालांकि फिर अंत में दोनों देश की सेनाएं पीछे हटी. अब बीते कुछ सालों से चीन ने एक बार फिर डोकलाम के आसपास के गांवों में निर्माण की गतिविधि को बढ़ा दिया है. हाल के वर्षों में, भूटानी अधिकारियों ने भूटान के क्षेत्र में चीनी बस्तियों की उपस्थिति से इनकार किया था.
7 हजार लोगों को किया स्थानांतरित
स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस) के रिसर्च सहयोगी रॉबर्ट बार्नेट की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से, जब चीन ने पहली बार भूटान का हिस्सा माने जाने वाले क्षेत्र में एक गांव बनाया था, तब से चीनी अधिकारियों ने अनुमानित 2,284 आवासीय इकाइयों वाले 22 गांवों और बस्तियों का निर्माण पूरा कर लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने लगभग 7 हजार लोगों को यहां स्थानांतरित भी कर दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार चीन ने लगभग 825 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर (जो भूटान के अंदर था) कब्जा कर लिया, जो देश के 2 फीसदी हिस्से से थोड़ा अधिक है. चीन ने इन गांवों में अज्ञात संख्या में अधिकारियों, निर्माण करने वालो मजदूरों, बॉर्डर पुलिस और सैन्य कर्मियों को भी भेजा है. ये सभी गांव सड़क के माध्यम से चीन से जुड़े हुए हैं.
ये भी पढ़ें : वन नेशन वन इलेक्शन बिल अब बढ़ाएगी मोदी सरकार की टेंशन! बीजेपी के लिए ये है सबसे बड़ा चैलेंज