मध्य चीन में कैथोलिक चर्च के बाहर लगे एक सरकारी साइन बोर्ड पर बच्चों को प्रार्थना में नहीं शामिल होने की चेतावनी दी गई है. “अवैध” चर्च गिराए जा रहे हैं. पादरी अपने समुदाय के लोगों की निजी सूचना अधिकारियों को दे रहे हैं. चीन में ईसाईयों के लिए फिलहाल इसी तरह का माहौल बना हुआ है.
यह अभियान और तेज होता जा रहा है. साल 1951 में वेटिकन और बीजिंग के आपसी संबंध कटु हो गए थे हालांकि अब उनमें सुधार आया है और बीजिंग के बिशप की नियुक्ति के अधिकार को लेकर जारी विवाद अब कुछ सुलझता दिख रहा है.
इस विवाद के चलते चीन के करीब 1 करोड़ 20 लाख कैथोलिक दो समूहों में बंट गए हैं. एक समूह जो सरकार की तरफ से मंजूर धर्माधिकारी को मानता है और दूसरा वह जो रोम समर्थक चर्च के स्वीकृत नियमों को मानता है.
चर्च के शीर्ष पर से क्रॉस हटा लिए गए हैं, मुद्रित धार्मिक सामग्रियों और पवित्र चीजों को जब्त कर लिया गया है और चर्च की तरफ से चलाए जाने वाले केजी स्कूलों को बंद कर दिया गया है. चर्च से राष्ट्रीय झंडा फहराने और संविधान को प्रदर्शित करने को कहा गया है जबकि सार्वजनिक स्थानों से धार्मिक प्रतिमाओं को हटाने को कहा गया है.
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