बीजिंग: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून 2020 में सीमा झड़प में शामिल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक सैनिक को शीतकालीन ओलंपिक के लिए एक मशाल वाहक के तौर पर उतारने के अपने कदम की व्यापक आलोचना के बीच चीन ने सोमवार को कहा कि उसका चयन ‘मानदंडों’ को पूरा करता है. साथ ही, चीन ने संबद्ध पक्षों से ‘‘राजनीतिक व्याख्या’’ करने से बचने को कहा.


चीन ने अत्यधिक सक्रियता से एक कदम उठाते हुए पीएलए के रेजिमेंटल कमांडर ची फबाओ को ‘‘ओलंपिक गेम्स टॉर्च रिले’’ के लिए मशाल वाहक बनाया है. इसके चलते भारत ने खेल के उद्घाटन समारोह का राजनयिक तौर पर शुक्रवार को बहिष्कार किया था. उल्लेखनीय है कि फबाओ जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के दौरान घायल हो गया था. नयी दिल्ली में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कमांडर को सम्मानित करने के चीन के कदम को खेदजनक बताया था.


अमेरिकी सांसदों ने भी की आलोचना
शीर्ष अमेरिकी सांसदों ने भी चीन के इस कदम को ‘शर्मनाक’ और ‘जानबूझ कर उकसाने वाला’ बताया है. अमेरिकी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के सदस्य एवं रिपब्लिकन सीनेटर जिम रिच ने भी कहा है कि वाशिंगटन भारत की संप्रभुता का समर्थन करना जारी रखेगा.


चीन ने दी सफाई
सोमवार को यहां प्रेस वार्ता में यह पूछे जाने पर कि क्या फबाओ को मशाल रिले में उतारना चीन के इस दृष्टिकोण के खिलाफ गया है कि ओलंपिक को खाई पाटनी चाहिए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘‘मैं जोर देते हुए यह कहना चाहता हूं कि बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के मशाल वाहक व्यापक रूप से प्रतिनिधि हैं, वे सभी संबद्ध मानदंडों को पूरा करते हैं. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि संबद्ध पक्ष इसे वस्तुनिष्ठ और तर्कसंगत तरीके से देखेंगे.’’


यह पूछे जाने पर कि क्या इस कदम ने भारत की संवेदनशीलताओं की अनदेखी की है, झाओ ने कहा, ‘‘मैं यह कहना चाहता हूं कि संबद्ध पक्ष मशाल वाहकों को वस्तुनिष्ठ और तर्कसंगत तरीके से देखेंगे तथा राजनीतिक व्याख्या करने से बचना चाहिए. ’’


गुरुवार को बागची ने ने कहा था कि चीन ने ओलंपिक जैसे एक कार्यक्रम को ‘‘राजनीतिक रंग’’ देने का विकल्प चुना है और बीजिंग में भारतीय दूतावास के प्रभारी बीजिंग शीतकालीन खेलों के उदघाटन एवं समापन समारोहों में शरीक नहीं होंगे.


भारत के 20 सैनिक हुए थे शहीद
गौरतलब है कि गलवान झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिये थे. इसे भारत और चीन के बीच पिछले कुछ दशकों में सबसे गंभीर सैन्य झड़प माना जाता है. चीन ने पिछले साल फरवरी में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि उसके भी पांच सैन्यकर्मी गलवान झड़प में मारे गये थे.


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