China AT UN: भारत पर कब्जा करने की नीयत रखने वाले चीन की एक और करतूत सामने आई है. संयुक्त राष्ट्र के व्हिसिलब्लोहर ने चीन को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है. इसमें कई गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन संयुक्त राष्ट्र पर कब्जा करना चाहता है, ताकि हर काम में उसकी तूती बोल सके. चीन चाहता है कि उसका यूएन पर राज रहे और उसे अपने हिसाब से चला सके.
रिपोर्ट में दावा है कि इसको लेकर चीन ने कई बार संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों को रिश्वत की पेशकस भी की थी. चीन के इस प्रोपोगेंडा का पर्दाफाश संयुक्त राष्ट्र व्हिसिलब्लोहर की सदस्य और मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की पूर्व कर्मचारी एम्मा रीली ने किया है. व्हिसिलब्लोहर ने इसको लेकर कुछ सबूत भी पेश किए हैं.
गंभीर मुद्दों पर चर्चा रोकने का आरोप
रिपोर्ट में बताया गया कि चीन ने कई बार यूएन में गंभीर मुद्दों पर चर्चा रोकने के लिए वोटों को भी प्रभावित किया और 2 बार महासभा के अध्यक्षों को रिश्वत भी देने की कोशिश की. उन्होंने सबूत पेश कर आरोप लगाया कि चीन संयुक्त राष्ट्र महासभा में कानून के शासन, लोकतंत्र और मानवाधिकारों को हटा देना चाहता है दरअसल, रीली ने मंगलवार को इसको लेकर एक लेख प्रकाशित किया था, जिसमें ये सभी गंभीर आरोप चीन पर लगाए गए.
इसमें बताया गया कि कैसे जिनपिंग सरकार कुछ मुद्दों को न उठाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा को प्रभावित कर रहा है. कई बार जब मामला पकड़ा गया तो अपनी ये करतूत छिपाने के लिए चीन ने संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों पर दबाव डाला, ताकि वे रिपोर्ट उसके हिसाब से बना सकें.
रिश्वत देने की कोशिश
रीली ने रिपोर्ट में दावा किया कि चीन ने कोविड के बाद डब्ल्यूएचओ (Who) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNP) की रिपोर्ट में भी छेड़छाड़ कराई. उइगर मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार को लेकर ओएचसीएचएआर की रिपोर्ट को लेकर भी दबाव बनाया है. कई बार हस्तक्षेप भी किया. ऐसा दावा है कि संयुक्त राष्ट्र के कुछ कर्मचारी ने चीन को उन मानवाधिकार कर्मचारियों के नाम बता दिए, जिन्होंने रिपोर्ट बनाई थी, ताकि चीन उन अधिकारियों का पता लगा कर उनके संपर्क कर सके और रिश्वत देने की पेशकस कर सकें.
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