अमेरिका के एक शीर्ष कमांडर ने मंगलवार को कहा कि चीन छह सालों में ताइवान पर हमला कर सकता है क्योंकि बीजिंग एशिया में अमेरिकी सैन्य शक्ति की जगह लेना चाहता है. अमेरिकी हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल फिलिप डेविडसन ने प्रतिनिधि सभा की सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष कहा कि लोकतांत्रिक और स्वशासित ताइवान लगातार चीन के हमले के साए में रह रहा है, जहां के नेता ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानते हैं और एक दिन उसे वापस लाने की बात करते हैं.
चीन दुनिया के लिए बड़ा खतरा
पेंटागन के शीर्ष कमांडर ने अमेरिकी सांसदों से कहा कि चीन 21वीं सदी में सबसे बड़ा एवं दीर्घकालीन सामरिक खतरा पैदा करता है. डेविडसन का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और चीन के शीर्ष विदेश नीति अधिकारियों की अगले महीने बैठक होने वाली है. यह अमेरिका में बाइडन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों और उनके चीनी समकक्षों के बीच आमने-सामने की पहली बैठक होगी. डेविडसन ने कहा, ‘‘हमारे आजाद एवं खुले दृष्टिकोण के विपरीत कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना आंतरिक एवं बाह्य दबाव के जरिए एक बंद एवं सत्तावादी व्यवस्था को प्रोत्साहित करती है.
चीन का हानिकारक दृष्टिकोण
उन्होंने कहा, ‘‘चीन का क्षेत्र के प्रति बहुत हानिकारक दृष्टिकोण है, जिसके तहत पूरी पार्टी हिंद-प्रशांत की सरकारों, कारोबारों, संगठनों एवं लोगों पर दबाव बनाना चाहती है, उन्हें भ्रष्ट बनाना चाहती है और उन्हें अपने समर्थन में करने का प्रयास कर रही है.’’ उन्होंने कहा कि चीन पीएलए का आकार लगातार बढ़ा रहा है और उसकी संयुक्त क्षमताओं में बढ़ोतरी कर रहा है, ऐसे में हिंद-प्रशांत में सैन्य संतुलन अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए अधिक प्रतिकूल हो गया है.
चीन को रोकने की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं
डेविडसन ने कहा कि चीन को रोकने की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं होने के कारण, वह मुक्त एवं स्वतंत्र हिंद प्रशांत के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करने वाली स्थापित एवं नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था एवं मूल्यों को उखाड़ने के लिए कदम उठाता रहेगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमें संघर्ष को रोकने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए. हमारा पहला काम शांति बनाए रखना है, लेकिन यदि प्रतिद्वंद्व संघर्ष में बदलता है, तो हमें लड़ने एवं जीतने के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए.’’
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