China Accused Britain Taiwan Visit: चीन ने ताइवान (Taiwan) की यात्रा पर गए ब्रिटेन के सांसदों की एक समिति पर उसके आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी का आरोप लगाया है. चीन ने चेतावनी देते हुए कहा कि उसके हितों के खिलाफ काम करने वालों को इसका जवाब दिया जाएगा और इसके लिए ताकत का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
ब्रिटिश सांसदों ने गुरुवार को ताइवान के प्रधानमंत्री सु त्सेंग-चांग (PM Su Tseng-Chang) से मुलाकात की और शुक्रवार (2 दिसंबर) को राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन से मुलाकात करेंगे. राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से कहा गया कि हम इस आमने-सामने के आदान-प्रदान के माध्यम से ताइवान और ब्रिटेन के बीच मैत्रीपूर्ण और सहकारी संबंधों को मजबूत करने और भारत-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता और विकास के लिए एक साथ काम करना जारी रखने के लिए तैयार हैं.
चीनी दूतावास ने गुरुवार को ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि ब्रिटिश संसद (British Parliament) के विदेश मामलों की समिति के सदस्यों की ताइवान की चल रही यात्रा 'वन चाइना पॉलिसी' का साफ तौर पर उल्लंघन है. चीन एक लोकतांत्रिक स्वशासित द्वीप ताइवान को अपना हिस्सा मानता रहा है. हालांकि, ताइवान चीन के इस दावे से इनकार करता है.
ब्रिटेन को चीन की नसीहत
ब्रिटेन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि चीन ब्रिटेन से अपनी प्रतिबद्धता का पालन करने, वन चाइना सिद्धांत का उल्लंघन करने वाली किसी भी कार्रवाई को रोकने और चीन के आंतरिक मामलों में दखल बंद करने का आग्रह करता है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन की ओर से चीन के हितों को कमजोर करने वाले कदमों को चीनी पक्ष से जोरदार जवाब दिया जाएगा. बयान में कहा गया है कि इस यात्रा ने उन लोगों को गलत संकेत दिया, जो ताइवान को स्वतंत्र बनाना चाहते हैं.
चीन को ब्रिटेन का जवाब
ब्रिटेन के सांसदों की समिती की पांच दिवसीय यात्रा ना केवल आर्थिक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी काफी महत्व रखती है. यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी उच्च स्तरीय ब्रिटिश प्रतिनिधि मंडल की यह पहली ताइवान यात्रा है. समिति की अध्यक्ष एलिसिया किर्न्स ने ताइवान की पांच दिवसीय यात्रा से पहले एक बयान में कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हमारे संबंधों की ताकत यूके के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के भीतर ताइवान की आवाज अद्वितीय और अमूल्य है.
समिति की अध्यक्ष एलिसिया किर्न्स ने चीनी बयान के जवाब में कहा कि यह पूरी तरह से सही है कि लोकतंत्र एक दूसरे के साथ बातचीत करने में कायम है, जबकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने ब्रिटिश सांसदों को मंजूरी देकर बातचीत बंद करने का विकल्प चुना है. उनका मानना है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे दोस्तों के साथ जुड़ना और सुनना मायने रखता है.
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