बीजिंग: चीन एक बार फिर पठानकोठ आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर के बचाव में खड़ा हो गया है. चीन ने मसूद अजहर पर यूएन प्रतिबंध के अमेरिकी प्रस्ताव का बचाव किया है.


चीन ने कहा कि इस संबंध में ‘मापदंडों’ को पूरा नहीं किया गया था. अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रयास को चीन द्वारा तीसरी बार रोका गया है. इस मामले से संबंधित सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने मीडिया से कहा कि 'बीजिंग ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि इस मुद्दे से जुड़ा हुआ दूसरा पक्ष भी आम सहमति पर पहुंच सकें.'


इस मसले पर क्या है चीन का पक्ष?
लू ने कहा, ‘पिछले साल यूएन सुरक्षा परिषद की 1,267 समिति ने मसूद को प्रतिबंध की सूची में डालने के मुद्दे पर चर्चा की थी. लेकिन इस पर अलग-अलग किस्म के विचार सामने आए और अंत में कोई आम सहमति नहीं बनी.’


उन्होंने कहा, ‘उसे प्रतिबंधित सूची में शामिल करने पर बाकी देशों ने जो पक्ष रखा है. उसके आधार पर हम कह सकते हैं कि समिति के लिए फैसले पर पहुंचने के लिए मानदंड अभी भी पूरे नहीं हुए हैं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘चीन ने इस अनुरोध पर तकनीकी रोक लगाई है ताकि संबद्ध पक्षों को एक दूसरे के साथ इस पर विचार-विमर्श करने का और समय मिल सके. यह सुरक्षा परिषद के संबंधित संकल्पों और समिति की चर्चाओं के नियमों के मुनासिब  है.’


तीसरी बार चीन ने दिया आतंकी अजर का साथ
अजहर पर प्रतिबंध के पीछे क्या कारण हैं, यह पूछे जाने पर लू ने कहा, ‘सुरक्षा परिषद में विचार-विमर्श और इससे संबंधित पक्षों में आंतरिक चर्चा के अपने नियम-कायदे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘सुरक्षा परिषद की स्थापना के बाद से इतने वर्षों में बाहरी दुनिया को इसकी जानकारी नहीं दी जाती है और संबंधित पक्ष चर्चा के नियमों के हिसाब से ही काम कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि फैसले पर पहुंचने के लिए पूरी चर्चा के लिए पूरा समय होगा. जिसे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में तर्कसंगत माना जा सके.’ अमेरिका ने यूएन सुरक्षा परिषद के दो अन्य स्थायी सदस्यों- ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से यूएन की प्रतिबंधों से जुड़ी समिति 1267 को अहजर को आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव पिछले महीने ही भेजा था.


इस प्रस्ताव को वॉशिंगटन और नई दिल्ली से चर्चा के बाद अंतिम रूप दिया गया था. इसमें कहा गया था कि जैश ए मोहम्मद प्रतिबंधित आतंकी संगठन हैं. इसलिए इसके नेता सजा से नहीं बच सकते. इस प्रस्ताव को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पदभार संभालने के एक दिन पहले ही भेजा गया था.


जैश ए मोहम्मद पर 2001 में लगा था प्रतिबंध
यूएन में अजहर को प्रतिबंधित करने की कवायदों का चीन लगातार विरोध कर रहा है. यूएन ने उसके संगठन जैश ए मोहम्मद पर वर्ष 2001 में प्रतिबंध लगाया था. माना जाता है कि चीन के विरोध के पीछे उसके करीबी सहयोगी पाकिस्तान का हाथ है.


पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर पिछले साल जनवरी में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने फरवरी में यूएन की प्रतिबंध समिति के तहत तुरंत कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. इस प्रयास का चीन ने कड़ा विरोध किया था. दिसंबर में भारत के प्रस्ताव को अंतिम रूप से रोक देने से पहले चीन ने इस पर दो बार तकनीकी रोक लगाई थी.