भारत का मुकाबला करने में छूट रहे ड्रैगन के पसीने, आंकड़ों ने खोल दी चीन की सारी पोल
चीन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार मई में चीन की उपभोक्ता खपत 3.7 फीसदी थी, जो जून में गिरकर सिर्फ 2 फीसदी रह गई. रियल एस्टेट के कर्ज के कारण उपभोक्ता खपत में गिरावट आई है.
भारत जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, उसका मुकाबला करने में ड्रैगन के पसीने छूट रहे हैं. चीन की विकास दर सुस्त पड़ गई है और दूसरी तिमाही में यह अनुमान से बहुत पीछे है, जबकि भारत का ग्रोथ रेट अनुमान से भी आगे निकल गया है. बीजिंग नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स (NBS) ने सोमवार (15 जुलाई, 2024) को घोषणा की कि साल की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर 4.7 फीसदी है, जबकि पहली तिमाही में यह 5.3 फीसदी थी. भारत की बात करें तो दूसरी तिमाही में उसकी विकास दर 7.6 फीसदी रही .
चीन सरकार ने सोमवार को कहा कि उसकी जीडीपी वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में घटकर 4.7 फीसदी पर आ गई है. पहली तिमाही के आंकड़ों को देखते हुए तमाम इकोनॉमिस्ट और ब्लूमबर्ग ने सर्वे में चीन की दूसरी तिमाही में जीडीपी के लिए 5.1 फीसदी की ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया था, लेकिन चीन इन तमाम अनुमानों से पीछे रह गया है.
यह आंकड़े ऐसे समय पर सामने आए हैं, जब सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) ने एक अहम बैठक शुरू की, जिसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में दोबारा जान फूंकने के लिहाज से राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व के लिए एक निर्णायक क्षण बताया जा रहा है.
चरमराई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे जिनपिंग
'थर्ड प्लेनम' नामक चार दिवसीय बैठक में कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के 376 पूर्ण और वैकल्पिक सदस्य हिस्सा ले रहे हैं. वे मुख्य रूप से सुधारों को व्यापक रूप से बढ़ाने और चीन के आधुनिकीकरण को गति देने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे, ताकि गहराते जनसांख्यिकीय संकट, सुस्त विकास और बढ़ते सरकारी ऋणों से चरमराई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके.
एनबीएस ने सोमवार को कहा, 'मौजूदा बाहरी वातावरण जटिल है, जबकि घरेलू मांग अपर्याप्त बनी हुई है. हमें अभी भी आर्थिक सुधार की नींव मजबूत करने की जरूरत है.'
सीपीसी की तीसरी बैठक को अगले दशक के लिए सुधार एजेंडा तय करने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस बैठक को राष्ट्रपति शी चिनफिंग के लिए एक निर्णायक क्षण के रूप में भी देखा जा रहा है, जिन्होंने आर्थिक सुस्ती के बीच अभूतपूर्व रूप से पांच साल का तीसरा कार्यकाल संभाला है.
क्यों गिरी चीन की विकास दर?
रिपोर्ट में कहा गया कि रियल एस्टेट संकट के चलते उपभोक्ताओं और कंपनियों ने सावधानीपूर्वक खर्च किया. चीन की विकास दर में गिरावट आने का मुख्य कारण खुदरा बिक्री में कमी आना है. आंकड़ों के अनुसार मई में चीन की उपभोक्ता खपत 3.7 फीसदी थी, जो जून में गिरकर सिर्फ 2 फीसदी रह गई. रियल एस्टेट के कर्ज के कारण उपभोक्ता खपत में गिरावट आई है.
चीन से कितना आगे भारत?
नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस (National Statistical Office) के अनुसार 2024 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.8 फीसदी थी और दूसरी तिमाही में 7.6 फीसदी हासिल की. पिछले साल मार्च में यह आंकड़ा 8.2 फीसदी था. वहीं, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2024 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था.
(इनपुट पीटीआई-भाषा से)