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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोरोना पर आलोचना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई में जुटा चीन
कोरोना वायरस को लेकर चीन को दुनिया के अन्य देशों से तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. अब इसी को लेकर चीन कार्रवाई के मूड में है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस पर उठी अंतरराष्ट्रीय आलोचना की उंगलियों से बौखलाए चीन ने जवाबी पलटवार की तैयारी कर ली है. ऑस्ट्रेलिया से आयात पर नई टेक्स बंदिशें लगाने के साथ ही बीजिंग ने अब उन अमेरिकी नेताओं के खिलाफ भी करवाई के संकेत दिए हैं जो कोरोना वायरस पर चीन का मुखर विरोध कर रहे हैं.
चीनी सरकारी मीडिया के मुताबिक, उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई ज़रूरी है जो बिना किसी ठोस आधार के आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में चीन उन अमेरिकी पदाधिकारियों और नेताओं के खिलाफ जवाबी कार्रवाई पर विचार कर रहा है जो चीन से हर्जाना मांगने के लिए कानूनी कार्रवाई की अगुवाई कर रहे हैं. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीन सरकार अमेरिका के मिसूरी प्रान्त के अटॉर्नी एरिक श्मिट और 4 सांसदों के विरुद्ध प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.
अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों और जानकारों का हवाला देते हुए लिखा है कि चीन उन लोगों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करेगा जिसकी आंच उन्हें महसूस होगी. महत्वपूर्ण है कि अमेरिकी अदालतों में ऐसे करीब आधा दर्जन मुकदमे दाखिल किए गए जिसमें चीन से कोरोना वायरस पर हर्जाना वसूले जाने की मांग के गई. साथ ही कई नेताओं ने चीन के खिलाफ मुकदमों को आसान बनाने वाले विधेयक भी आगे बढ़ाए.
मिसूरी अमेरिका का पहला ऐसा राज्य था जहां अप्रैल 21 को कोरोना वायरस से हुए नुकसान की भरपाई के लिए दावा दाखिल किया था. इसके मुताबिक चीन ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किया. इसके कारण मिसूरी के लोगों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. इसी तरह मिसिसिपी के अटॉर्नी ने भी चीन से हर्जाने की मांग करते हुए मुकदमा दाखिल किया जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.
अमेरिका के रिपब्लिकन सिनेटर जोश हॉवले, अराकान्स के सिनेटर टॉम कॉटन्स, टेक्सास के रिपब्लिकन डेन क्रेनशॉ ने भी विधायी प्रस्ताव बढ़ाए जो चीन के खिलाफ हर्जाना दावों का दरवाजा खोलते हैं. ग्लोबल टाइम्स ने जानकारों के हवाले से लिखा है कि उन नेताओं के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की ज़रूरत है जो अकारण अमेरिका-चीन सम्बन्धों में तनाव बढ़ा रहे हैं.
चीनी सरकारी मीडिया के मुताबिक अमेरिका का मिसूरी प्रांत के लिए चीन निर्यात का तीसरा सबसे बड़ा स्थान है. साल 2019 में उत्पाद और सेवा क्षेत्र में 1.8 अरब डॉलर से ज़्यादा निर्यात मिसूरी से चीन को किया गया. इसके अलावा साउथ कैरोलाइना, मिशिगन, टेक्सास आदि में भी चीन का बड़े पैमाने पर निवेश है. ऐसे में चीन उन अमेरिकी राज्यों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई और कारोबार पाबंदियों की तैयारी कर रहा है जहां से चीन विरोधी सुर जोर शोर से उठ रहे हैं.
गौरतलब है कि चीन इससे पहले ऑस्ट्रेलिया से आने वाले उत्पादों पर यातायात बंदिशें लगा चुका है. इसके तहत चीन ने ऑस्ट्रेलिया के चार बड़े बूचडख़ानों से होने वाले आयात पर रोक लगा दी है. जिसमें से तीन क्वीन्सलैंड और साउथ वेल्स में है. ध्यान रहे कि ऑस्ट्रेलिया उन मुल्कों क़ई फेहरिस्त में अगुवा है जिन्होंने कोरोना संकट में सबसे पहले चीन के खिलाफ जांच की मांग उठाई थी.
ऑस्ट्रेलिया की ताजा पाबंदियों को चीन की तरफ से अपनी नाराजगी जताने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है. डेयरी और कृषि उत्पादों पर निर्भरता रखने वाले ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन बहुत बड़ा आयातक है.
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